मुश्किल हैं विज्ञान, गणित, हिन्दी ने बहुत सताया है। अंग्रेजी की देख जटिलता, मेरा मन घबराया है।। भूगोल और इतिहास मुझे, बिल्कुल भी नही सुहाते हैं। श्लोकों के कठिन अर्थ, मुझको करने नही आते हैं।। देखी नही किताब उठाकर, खेल-कूद में समय गँवाया, अब सिर पर आ गई परीक्षा, माथा मेरा चकराया।। बिना पढ़े ही मुझको, सारे प्रश्नपत्र हल करने हैं। किस्से और कहानी से ही, कागज-कॉपी भरने हैं।। नाहक अपना समय गँवाया, मैं यह खूब मानता हूँ। स्वाद शून्य का चखना होगा, मैं यह खूब जानता हूँ।। तन्दरुस्ती के लिए खेलना, सबको बहुत जरूरी है। किन्तु परीक्षा की खातिर, पढ़ना-लिखना मजबूरी है।। |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
बुधवार, 3 मार्च 2010
“पढ़ना-लिखना मजबूरी है!” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि &qu...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
तन्दरुस्ती के लिए खेलना,
जवाब देंहटाएंसबको बहुत जरूरी है।
किन्तु परीक्षा की खातिर,
पढ़ना-लिखना मजबूरी है।
बहुत सही कहा आपने , अच्छी कविता शास्त्री जी !
हर कोई यहाँ सचिन और धोनी की किस्मत लेकर नहीं आता !
आदरणीय शास्त्री जी.... आपको बहुत फोन लगाया ....लेकिन आपने नहीं उठाया.... आपको होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं.... मुझे ऐसा लगता है कि आपको सिर्फ एक शब्द दे दिया जाए.... और आप उस पर कविता तैयार कर देते हैं.... आपकी इस लेखनी को सादर नमन....
जवाब देंहटाएंसादर
महफूज़..
bahut sundar sandesh deti kavita hai.........padhna likhna majboori nhi jaroori hai bas itni si baat yadi bachche samajh jayein to jeevan safal ho jaye.
जवाब देंहटाएंतन्दरुस्ती के लिए खेलना,
जवाब देंहटाएंसबको बहुत जरूरी है।
किन्तु परीक्षा की खातिर,
पढ़ना-लिखना मजबूरी है।
बहुत सुन्दर शिक्षा दी है आपने बच्चों के लिये। धन्यवाद्
बहुत ही सुन्दर सन्देश देते हुए एक उम्दा रचना पेश किया है आपने!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता.
जवाब देंहटाएंरामराम.
तन्दरुस्ती के लिए खेलना,
जवाब देंहटाएंसबको बहुत जरूरी है।
किन्तु परीक्षा की खातिर,
पढ़ना-लिखना मजबूरी है।
बहुत सुन्दर ..
आपकी इस लेखनी को सादर नमन....
nice
जवाब देंहटाएंkaksha ki yaad aa gayi....
जवाब देंहटाएंमुझे बचपन की वह कहावत यद आ गई ..पढ़ोगे-लिखोगे बनोगे नवाब
जवाब देंहटाएंतंदुरुस्ती के लिए खेला और परीक्षा के लिए पढना लिखना जरुरी है ...बहुत सही ...
जवाब देंहटाएं@ sharad kokas ji
खेलोगे कूदोगे बनोगे ख़राब ...??...
तन्दरुस्ती के लिए खेलना,
जवाब देंहटाएंसबको बहुत जरूरी है।
किन्तु परीक्षा की खातिर,
पढ़ना-लिखना मजबूरी है।।
बहुत ख़ूब!