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Bahut sundar geet.....Aabhar!
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंयह गीत बहुत भाया है
चुटकियों में गहरी बात कह जाते हैं आप...
सचमें ...सही अर्थ में मैं निशब्द हो जाती हूँ...
माँ सरस्वती कि विशेष कृपा है आप पर..कितनी सरलता से बात कह गए आप..
आभार..
सूखा आषाढ़ है
जवाब देंहटाएंभादों में बाढ़ है
कुहरा गहराया है!
नया-गीत आया है!!
विसंगतियों के बीच चलो नया गीत तो आया और वो भी इतना सुन्दर
बिम्ब नये व्यथा वही
जवाब देंहटाएंपात्र नये कथा वही
माथा चकराया है!
नया-गीत आया है!!
उत्तम रचना शास्त्री जी !
बहुत सुन्दर भावों को लिए नहीं नया गीत रचा गया है...काफी बिरोधाभास प्रस्तुत किया है...आभार
जवाब देंहटाएंसुंदर गीत है। पढ़कर मन प्रसन्न हुआ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गीत.
जवाब देंहटाएंरामनवमी की घणी रामराम.
अभी तो सूरज ने गजब ढाया है.
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएं"रबड़-छन्द" (!)
जवाब देंहटाएंमैं समझ नहीं पाया. क्षमा.
महकी सुगन्ध वही
जवाब देंहटाएंमाटी की गन्ध वही
थाल नव सजाया है!
नया-गीत आया है!!
vaah.
आप ने तो इस सुंदर्गीत मै सभी मोसमो का स्वाद चखा दिया.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
@ काजल कुमार Kajal Kumar ji!
जवाब देंहटाएंरबड़ छन्द का अभिप्राय है-
शब्दों और मात्राओं की मर्यादा न होना!
अर्थात्- कोई पंक्ति छोटी हो जाना और कोई रबड़ की भाँति सुरसा के मुँह के समान फैली हुई होना!
बहुत सुन्दर गीत, शास्त्री जी.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और मनमोहक गीत है! मन ख़ुशी से भर गया!
जवाब देंहटाएंmohak geet shastri ji
जवाब देंहटाएंpyari kavita hai ,badhaiii
जवाब देंहटाएंआशा है जीवन में यूँ ही नया गीत महकता रहे ... बहुत अच्छा गीत है ...
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