जीवन पथ पर, आगे बढ़ते रहो हमेशा, साहस से टल जायेंगी सारी ही उलझन। नदी और तालाब, यही देते हैं सन्देशा, रुकना तो सड़ना है, चलना ही है जीवन।। पोथी पढ़ने से जन पण्डित कहलाता है, बून्द-बून्द मिलकर ही सागर बन जाता है, प्यार रोपने से ही आता है अपनापन। रुकना तो सड़ना है, चलना ही है जीवन।। सर्दी,गर्मी, धरा हमेशा सहती है, अपना दुखड़ा नही किसी से कहती है, इसकी ही गोदी में पलते हैं वन कानन। रुकना तो सड़ना है, चलना ही है जीवन।। शीतल-मन्द-सुगऩ्ध बयारें चलकर आतीं, नभ से चल कर मस्त फुहारें जल बरसातीं, चलने से ही स्वस्थ हमेशा रहता तन-मन। रुकना तो सड़ना है, चलना ही है जीवन।। |
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शनिवार, 20 मार्च 2010
“चलना ही है जीवन!” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
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पोथी पढ़ने से जन पण्डित कहलाता है,
जवाब देंहटाएंबून्द-बून्द मिलकर ही सागर बन जाता है,
प्यार रोपने से ही आता है अपनापन।
रुकना तो सड़ना है, चलना ही है जीवन।।
BEHTREEN LAINE,AABHAR.
जीवन पथ पर, आगे बढ़ते रहो हमेशा,
जवाब देंहटाएंसाहस से टल जायेंगी सारी ही उलझन।
सुन्दर सन्देश
सुन्दर रचना
this is very nice.
जवाब देंहटाएंजीवन का सन्देश देती मधुर कविता...!
जवाब देंहटाएंआभार !!
सादर--आ.
बहुत ही प्रेरक कविता है बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंwaah
जवाब देंहटाएंbahut khoob
urja dene wali is rachna ka abhinandan !
शास्त्री जी बिल्कुल सही फरमा रहे हैं -
जवाब देंहटाएंचलना ही ज़िंदगी है, रुकना है मौत तेरी!
बहुत सुंदर रचना जी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
वाकई में चलना ही जीवन है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर बात कही कविता के माध्यम से.
जवाब देंहटाएंरामराम.
जीवन का मूलमंत्र तालाब और नदी के माध्यम से बहुत सरलता से समझाया है.....खूबसूरत रचना...आभार
जवाब देंहटाएंjeevan chalne ka naam
जवाब देंहटाएंchalte raho subaho shaam
bas isi ka naam jeevan hai jismein gati hai aur usi ki dhun pa rhum sab bhi chalte rahte hain.........bahut sundar bhav.