मित्रों!
अपार हर्ष के साथ आपको सूचित कर रहा हूँ कि नववर्ष 2011 के आगमन पर देवभूमि उत्तराखण्ड के खटीमा नगर में एक ब्लॉगरमीट का आयोजन 9 जनवरी, 2011, रविवार को किया जा रहा है!
इस अवसर पर आप सादर आमन्त्रित हैं।
जिन ब्लॉगर्स ने इसमें भाग लेने की स्वीकृति मुझे भेजी है।
मैं उनका आभारी हूँ।
जो मित्र 9 जनवरी, 2011, रविवार को यहाँ पधार रहे हैं।
उनसे मेरा निवेदन है कि वो
"हिन्दी भाषा और साहित्य के विकास में ब्लॉगिंग की भूमिका"
विषय पर अपना आलेख साथ में लाएँ!
जो किसी कारणवश् इस कार्यक्रम में आने में असमर्थ है!
वह भी अपना आलेख मेरे ई-मेल पर प्रेषित करने की कृपा करें!
इस "ब्लॉगरमीट" के पश्चात चयनित आलेखों को
एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने की योजना है!
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यहाँ न ही कुहरा है तथा न ही भयंकर सरदी है!
दिन में खूब खिली हुई धूप निकलती है!
इस गुनगुनी धूप को सेंकने में तो दोपहर में पसीना आ जाता है!
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साथ ही मैं अपने सभी साथियों से अपना स्नेहसिक्त अधिकार समझकर
यह प्रार्थना भी करता हूँ कि वह इस समाचार को
अपने ब्लॉग या अपनी पत्रिका में भी पोस्ट के रूप में
स्थान देकर मुझे कृतार्थ करेंगे!
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यह उत्तराखण्ड में पहला आयोजन होगा!
विस्तृत कार्यक्रम निम्नवत् है-
खटीमा की दूरी निम्न नगरों से निम्नवत् है-
मुरादाबाद से 160 किमी
रुद्रपुर से 70 किमी
बरेली से 95 किमी
पीलीभीत से 38 किमी
हल्द्वानी से 90 किमी
देहरादून से 350 किमी
हरिद्वार से 290 किमी
दिल्ली से 280 किमी
लखनऊ से 280 किमी है।
♥ दिल्ली आनन्द विहार से दो दर्जन रोडवेज की बसें प्रतिदिन
खटीमा के लिए आती हैं।
कश्मीरीगेट से प्रतिदिन दो प्राईवेट लग्जरीबसें
2बाई2 रात को 9 बजे खटीमा के लिए चलती हैं,
जो सुबह खटीमा आ जाती हैं।
जिनका किराया रोडवेज से कम है।
♥ दिल्ली से शाम को 4 बजे सम्पर्क क्रान्ति एक्सप्रेस
काठगोदाम के लिए चलती है, -
जो रात्रि 8:30 पर रुद्रपुर आ जाती है।
रुद्पुर से खटीमा मात्र 70 किमी है।
रोडवेज की बसे दिल्ली आनन्दविहार से
खटीमा के लिए चलती रहती हैं।
इसके अलावा प्रातः 9 बजे ओर रात को 9-30 पर भी ट्रेन
रुद्पुर के लिए मिलती हैं।
♥ लखनऊ से ऐशबाग स्टेशन से खटीमा के लिए
नैनीताल एक्सप्रेस-15308 में 3 रिजर्वेशन कोच
टनकपुर के लिए लगते हैं।
जो खटीमा प्रातःकाल पहुँच जाते हैं।
♥ लखनऊ से बरेली बड़ी लाइन की ट्रेन तो
समय-समय पर मिलती ही रहती हैं।
बरेली से रोडवेज की बसें बरेली सैटेलाइट बसस्टैंड से
अक्सर मिलती रहती हैं।
जो दो घण्टे में खटीमा पहुँचा देती हैं।
♥ देहरादून से रात को 10 बजे काठगोदाम एक्सप्रेस चलती है।
जो प्रातः 5 बजे रुद्पुर पहुँच जाती है।
यहाँ से रोडवेज की बस डेढ़ घण्टे में खटीमा पहुँचा देती है।
♥ हरिद्वार से भी 11 बजे रात्रि में
काठगोदाम एक्सप्रेस पकड़ कर आप रुद्पुर उतर कर
खटीमा की बस से यहाँ आ सकते हैं।
♥ हरिद्वार और देहरादून से बहुत सी बसें
खटीमा के लिए चलती हैं।
मान्यवर मित्रों!
आप खटीमा 9 जनवरी को अवश्य पधारें!
यहाँ सिक्खों का गुरूद्वारा श्री नानकमत्तासाहिब में मत्था टेकें।
माँ पूर्णागिरि के दर्शन करें।
नेपाल देश का शहर महेन्द्रनगर यहाँ से मात्र 20 किमी है।
आप नेपाल की यात्रा का भी आनन्द लें।
मैं आपकी प्रतीक्षा में हूँ!
अपने आने की स्वीकृति मेरे निम्न मेल पते पर देने की कृपा करें।
Email- rcshashtri@uchcharan.com
डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक"
टनकपुर रोड, खटीमा,
ऊधमसिंहनगर, उत्तराखंड, भारत - 262308.
Phone/Fax: 05943-250207,
Mobiles: 09368499921, 09997996437, 09456383898
एक मां के आंसू जो इरादों में बदल गये .....
जवाब देंहटाएंदोस्तों यह कोई कालपनिक कहानी नहीं
एक हकीकत हे
जी हाँ दोस्तों यह एक मां के आंसू थे
जो थोड़ी सी देर में ही सख्त इरादे में बदल गये ।
नये साल के एक दिन पहले में अदालत में अपनी सीट पर बेठा था के आँखों में आंसू लियें
एक महिला याचक की तरह मेरे पास आई और फिर अपनी बात बताने के पहले ही फुट फुर कर रोने लगी
मेरे आस पास के टाइपिस्ट , वकील और मुशी उसे देखने लगे महिला मेरी पूर्व परिचित थी इसलियें उसे दिलासा दिलाया जम महिला शांत हुई तो उससे उसकी परेशानी पूंछी महिला ने दोहराया के आपको तो पता हे मेरे पति के
तलाक लेने के बाद केसे मेने जिंदगी गुजर बसर कर अपने बच्चों को पाला हे उन्हें बढा किया हे और उनका विवाह किया हे में आज भी दोनों लडकों के विवाह के बाद उनके कुछ नहीं कमाने के कारण उनका खर्चा चला रही हूँ और बच्चे हे के शादी और डिलेवेरी के खर्च के वक्त उधार ली गयी राशी को चुकाने का प्रयास ही नही कर रहे हें जबकि पति तलाक के बात लकवाग्रस्त हो जाने से मेरे घर आ गया हे ओऊ उसका इलाज भी मुझे ही करवाना पढ़ रहा हे मेरा भी हाथ तंग हे इसलियें में बेबस हूँ मेने एक कर्ज़ के पेटे कर्ज़ लेने वाले को चेक दिया था उसने मेरे खिलाफ मुकदमा कर दिया और अदालत से मेरे खिलाफ जमानती वारंट आया हे हमने महिला के हाथ में से जमानती वारंट लेकर देखा वारंट केवल पांच हजार रूपये के चेक के मामले को लेकर भेजा गया था मेने और मेरे साथियों ने उस महिला की आँख में आंसू और चेहरे पर बेबसी देखी तो उसे हिम्मत दिलाई मुकदमें में उसका कुछ नहीं बिगड़ेगा इस का उसे दिलासा दिलाया महिला ने राहत की सांस ली और बेठ गयी इसीस बीच लगभग एक आठ साल का बच्चा हाथ में थेला और ब्रुश लिए आया और कहने लगा वकील साहब पोलिश , यकीन मानिए में कभी भी इन बच्चों से पोलिश नहीं कराता हूँ लेकिन उस दिन ना जाने क्या दिमाग में आया के मेने चुपचाप जूते उतार कर उसके आगे बढ़ा दिए बच्चा नादाँ सा सभी दुःख दर्द से बेखबर होकर जूतों पर पोलिश करने के लियें जुट गया मेने उससे मजाक किया के बेटा पोलिश तो तू आज कर दे पोलिश के पेसे तू कल ले जाना बच्चे ने नजर उठाई और कहा के नहीं सर कल तो जुम्मा हे में नमाज़ पढूंगा पेसे तो आज ही लूंगा , में दुसरा सवाल करता इस के पहले ही उस बेचें पीड़ित महिला के दोनों बेटे भी पास ही आकर बेठ गये थे , मेने फिर उस पोलिश वाले बच्चे से दूसरा सवाल किया के बेटे तुम पढ़ते नहीं उसने कहा सर दिन में पढ़ता हूँ अभी में स्कुल से ही तो आया हूँ और घर से बस्ता रख कर इधर आ गया , बच्चे से पूंछा के तुम कहां रहते हो तो उसने उद्योग नगर वेम्बे योजना में रहना बताया , जब बच्चे से दिन भर की कमिया का ब्यौरा लिया तो बच्चे ने वही शालीनता से जवाब दिया सर पचास से सत्तर रूपये तक रोज़ कम लेता हूँ , बच्चे से फिर मेने सवाल किया के तुम इन रुपयों का क्या करते हो तो बच्चे ने फिर सहज और मासूमियत भरा जवाब दिया सर मेरे पापा को घर पर लेजाकर दे देता हूँ वोह अकेले ढोलक बेचते हें जिससे घर का खर्च ठीक से नहीं चलता पुराना कर्जा हे इसलियें कर्जा उतारने के लियें में भी कमाई कर रहा हूँ , बच्चे की बात सुनकर उस पीड़ित महिला के दोनों बच्चे बगले झाँकने लगे मेने पोलिश वाले बच्चे से फिर वही सवाल किया और उसने फिर वही जवाब दोहराया बस फिर किया था जो महिला आँखों में आंसू और चेहरे पर बेबसी लेकर आई थी उसके आंसू सुख गये थे और वोह अपने बच्चों के इस छोटे से बच्चे की सीख से आचरण में बदलाव महसूस कर रही थे इसलियें उस महिला के आंसू मजबूत इरादों में बदल गये और दोनों बच्चों ने महिला का हाथ पकड़ा और कहा चल मम्मी घबरा मत देखते हें हम और तुइम मिलजुल के कुछ करेगे तो कर्जा तो उतर ही जाएगा परेशानी बेबसी और आंसुओं के बाद एक छोटा सा पोलिश करने वाला बच्चा एक मां के बिगड़े बच्चों को इतनी बढ़ी सीख और बेबस मां को हिम्मत दे जायेगा में सोच ही रहा था के पोलिश वाले बच्चे ने कहा के सर पोलिस के पेसे मेने जेब में हाथ डाला तो खुल्ले नहीं थे पचास का नोट था बच्चे ने कहा सर में खुल्ले करवा कर लाता हूँ लेकिन मेने कहा बेटा बस खुल्लों की जरूरत नहीं हे पुरे के पुरे तू ही रख ले यकीन मानिये उस बच्चे को जबरन पचास रूपये देने के लियें मुझे काफी जद्दो जहद करना पढ़ी तब वोह जाने को तयार हुआ लेकिन कहकर गया हे के अब में बकाया पैसों की रोज़ आपके जूतों की पोलिश करा करूंगा .......... तो ऐसे एक मासूम से बच्चे ने जिंदगी का एक बहुत बढ़ा सबक सिखा दिया जो शायद कभी भुलाया नहीं जा सकेगा । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
बहुत ही शुभकामनायें इस आयोजन की।
जवाब देंहटाएंअवश्य प्रयास होगा आने का...
जवाब देंहटाएंपंडित जी! एक सफल आयोजन की शुभकामनाएँ!!
जवाब देंहटाएंअपको इस आयोजन के लिये बधाइयाँ। नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंनववर्ष और प्रस्तावित कार्यक्रम के लिए शुभकामनाएँ। प्रवास में न होता,तो मैं भी आने पर विचार करता।
जवाब देंहटाएंआप को इस आयोजन के लिये शुभकामानाऎ.
जवाब देंहटाएंआप को ओर आप के परिवार को इस नये वर्ष की शुभकामनाऎं
ayojan safal ho!
जवाब देंहटाएंhardik shubhkamnayen.
Vistrat jaankaari ... बहुत ही शुभकामनायें इस आयोजन की ...
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी
जवाब देंहटाएंआपको इस ब्लोगर मीट और पुस्तको के विमोचन की हार्दिक शुभकामनायें और बधाई……………आ तो नही सकती मगर मन वहीं होगा। जैसे इस नव वर्ष मे आपकी पुस्तको का विमोचन हो रहा है उम्मीद करती हूँ इसी प्रकार हर साल ये आयोजन हो।