सेवा का व्रत धार लिया है। कभी न उल्टा पथ अपनाया, जिसको अपना मीत बनाया, उससे ही है धोखा खाया, हमने सूई-धागा लेकर, बैरी का भी वक्ष सिया है। मानवता से प्यार किया है।। झंझावातों के दलदल में, कभी किसी का हाथ न छोड़ा, शरणागत को गले लगाया, मर्यादा का साथ न तोड़ा, अमृत रहे बाँटते जग को, हमने केवल गरल पिया है। मानवता से प्यार किया है।। अपनी झोली में से हम तो, सच्चे मोती बाँट रहे है, बैर-भाव की खाई को हम, प्रेम-प्रीत से पाट रहे हैं, सन्तो ने जो सिखलाया है, जग को वो उपहार दिया है। मानवता से प्यार किया है।। |
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मंगलवार, 18 जनवरी 2011
"अमन का सन्देश" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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झंझावातों के दलदल में,
जवाब देंहटाएंकभी किसी का हाथ न छोड़ा,
शरणागत को गले लगाया,
मर्यादा का साथ न तोड़ा,
अमृत रहे बाँटते जग को,
हमने केवल गरल पिया है।
मानवता से प्यार किया है।।
सार्थक!!
हमने केवल गरल पिया है।
जवाब देंहटाएंमानवता से प्यार किया है।।
वाह..
बेहद सार्थक एवं बेहतरीन पोस्ट के लिए बधाई एवं शुभकामनायें स्वीकार करें |
एक एक पंक्ति सार्थक और सोद्देश्य है..
जवाब देंहटाएंबना रहे यह प्यार!
जवाब देंहटाएंबहुत खुब जी धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत खुब देशभक्ति की भावना.....आभार
जवाब देंहटाएंसुंदर सार्थक रचना ....
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी! सच्ची मानवतावादी रचना!
जवाब देंहटाएंमानवता से प्यार किया है ...
जवाब देंहटाएंसार्थक सन्देश !
आपकी रचना बहुत सारगर्भित और सुन्दर लगी | गणतंत्र दिवस के लिये अभी से शुभ कामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और नेक विचारों को आपने पिरोया है
जवाब देंहटाएंसुंदर और सार्थक रचना !!
जवाब देंहटाएंमानवता से प्यार किया है।।
जवाब देंहटाएंsabhi ko karna bhi chahiye...
sundar rachna har baar ki tarah guru ji!
अमृत रहे बाँटते जग को,
जवाब देंहटाएंहमने केवल गरल पिया है।
मानवता से प्यार किया है।।
बहुत उत्तम प्रस्तुति, नेक जज्बात. शुभकामनाओं सहित...
बेहद सुंदर एवं सार्थक रचना ....
जवाब देंहटाएंरंग बहुत थे ढंग बहुत थे,
जवाब देंहटाएंकभी न उल्टा पथ अपनाया,
जिसको अपना मीत बनाया,
उससे ही है धोखा खाया,
हमने सूई-धागा लेकर,
बैरी का भी वक्ष सिया है।
मानवता से प्यार किया है।।
बहुत सुन्दर!
हमने सूई-धागा लेकर,
जवाब देंहटाएंबैरी का भी वक्ष सिया है।
मानवता से प्यार किया है।
सुन्दर सन्देश देती हुई अच्छी रचना ..
अपनी झोली में से हम तो,
जवाब देंहटाएंसच्चे मोती बाँट रहे है,
बैर-भाव की खाई को हम,
प्रेम-प्रीत से पाट रहे हैं,...
प्रेम और प्रीत का संदेश देती लाजवाब रच्न ...
मानवता से किया प्यार ही काम आयेगा।
जवाब देंहटाएंसुन्दर बाल कविता
जवाब देंहटाएं