पत्ते सारे सिमट गये हैं, अद्भुत् छटा वनों में फैली, कुसुम डाल पर चहक रहे हैं।। देते हैं सन्देश हमें यह, अब बसन्त आने वाला है। धूप गुनगुनी बोल रही है, अब जाड़ा जाने वाला है।। बासन्ती परिधान पहनकर सरसों पीली फूल रही है। गेंहूँ के कोमल बिरुओं पर, हरी बालियाँ झूल रहीं हैं।। प्रेमदिवस आने वाला है, मस्त नज़ारों में खो जाएँ। मौसम आमन्त्रण देता है, खुश होकर हम नाचें-गाएँ।। |
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बुधवार, 26 जनवरी 2011
"अब बसन्त आने वाला है" (डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक")
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पूरा देश प्रतीक्षा कर रहा है। आपने आगाज़ किया है,अंजाम भी फलित होकर रहेगा।
जवाब देंहटाएंbahut hi baddhiya hai.. aanand daayak..
जवाब देंहटाएंधूप गुनगुनी बोल रही है,
जवाब देंहटाएंअब जाड़ा जाने वाला है।।
बस कल बाहर धूप में बैठकर यही सोच रहे थे।
अब तो लगता है कि बसंत आया, बहुत खूब ,।
जवाब देंहटाएंदेते हैं सन्देश हमें यह,
जवाब देंहटाएंअब बसन्त आने वाला है।
धूप गुनगुनी बोल रही है,
अब जाड़ा जाने वाला है।।
bahut sunder.
आपने तो आगाज़ कर दिया ……………फिर देर कैसी?
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर वसन्तमयी प्रस्तुति।
welcome mr. basant
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबसंत क़ा सुन्दर वर्णन
बहुत खुब...वसंत के आगमन पर एक सुंदर प्रस्तुति,,,,,,
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर |
जवाब देंहटाएंस्वागत है ऋतुराज का ...
देते हैं सन्देश हमें यह,
जवाब देंहटाएंअब बसन्त आने वाला है।
धूप गुनगुनी बोल रही है,
अब जाड़ा जाने वाला है।
बहुत सुन्दर रचना है। बधाई बसंत के इन्तजार की।
basanti rachna ..sukhad anubhav!
जवाब देंहटाएंआद.मयंक जी,
जवाब देंहटाएंबासन्ती परिधान पहनकर
सरसों पीली फूल रही है।
गेंहूँ के कोमल बिरुओं पर,
हरी बालियाँ झूल रहीं हैं।।
वसंत के आगमन का बड़ा ही सजीव चित्रण किया है !
धन्यवाद !
सुन्दर वसन्तमयी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं