पर्वत की है छटा निराली।
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सोमवार, 31 जनवरी 2011
"यह है अपना सच्चा भारत" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
पर्वत की है छटा निराली।
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bhaarat maata ki jai!!
जवाब देंहटाएंवाह शास्त्री जी, बहुत खूब रचना है..
जवाब देंहटाएंबड़ी ही सरल सुन्दर कवितायें।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना जी,
जवाब देंहटाएंवाह! भारत की बहुत ही सुन्दर तस्वीर खींची है कविता मे……………बधाई।
जवाब देंहटाएंआपकी ये सुन्दर रचना बेहद पसंद आई....
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
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जवाब देंहटाएंबेहतरीन पोस्ट लेखन के लिए बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - पधारें - ठन-ठन गोपाल - क्या हमारे सांसद इतने गरीब हैं - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा
बधाई और शुभकामनाये, अगली किताब की सुन्दर शुरुआत के लिए !
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