चिमटे जैसी भुजा बनी हैं, प्यारी सी दुम धनुष-कमान। विष से भरा दंश है घातक है, जैसे हो जहरीला बाण।। कमर मंथरा जैसी टेढ़ी, परसराम जैसी आदत है। प्रीत-रीत यह नहीं जानता, इसको छूना ही आफत है।। डरता नहीं किसी से है यह, छोटा-खोटा और कृतघ्न है। अकड-अकड़ कर चलता है यह, अपनी ही धुन में निमग्न है।। मन से क्रोधी, तन से तिरछा, नहीं कहीं से यह सरल है। दूर हमेशा रहना इससे, बिच्छू का पर्याय गरल है।। |
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गुरुवार, 20 जनवरी 2011
"दूर हमेशा रहना इससे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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* इस बिच्छू की तस्वीर और आपकी कविता देख - पढ़कर कई (फ़िल्मी) गीत याद आ गए।
जवाब देंहटाएं**बहुत बढ़िया साहब।
क्या कहना शास्त्रीजी ,
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी बाल कविता ..
बाल साहित्य को इस समय आपकी लेखनी बहुत ही समृद्ध कर रही है |
साधुवाद !
*बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया बालगीत.
जवाब देंहटाएंअजी बडा जहरीला जानवर है ……………क्यों दिखा कर डरा दिया मगर कविता सुन्दर है।
जवाब देंहटाएंबच्चों को कविता के माध्यम से अच्छी सीख दी है ...और बिच्छु के बारे में जानकारी भी ..
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता.
जवाब देंहटाएंबड़े सरल और प्रभावी शब्दों में कविता कहना आपकी खूबी है,शास्त्री जी.
बहुत अच्छी बाल कविता।
जवाब देंहटाएंहम बड़ों को भी अच्छी लगी।
जहाँ भी आपकी नजर पड जावे नई कविता वहीं जन्म ले लेती है । विलक्षण...
जवाब देंहटाएंसच में ऐसा ही लगता है कि हरदम गुस्से से फनफनाया रहता है
जवाब देंहटाएंबाल कविता के नाम पर इतने कठिन शब्द । इसे तो किशोर भी सहजता से नहीँ समझ सकेँगे । सरलता बाल साहित्य की पहली शर्त है । अन्यथा लोग बच्चोँ के नाम पर कुछ भी लिख देते हैँ किँतु बच्चे उसे कहाँ अपनाते हैँ ? मनोनुकूल साहित्य न मिल पाने के कारण ही आज का बालक साहित्य की ओर झाँकता भी नहीँ । कितने घरोँ मेँ बाल पत्रिकाएँ देखने को मिलती हैँ ? ...क्षमा करेँ आपकी रचना बहुत अच्छी है किँतु अच्छी बाल कविता बिल्कुल नहीँ ।
जवाब देंहटाएंडॉ.नागेश पाण्डेय संजय जी !
जवाब देंहटाएंआप बालक क्या 6 साल तक के बच्चों को ही मानते हैं?
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विद्यालय में अध्यापक तथा घर में माता-पिता क्या इनके अर्थ नहीं बतायेंगे?
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क्या इसमें आये हुए शब्दों से वालकों के शब्दकोश में अभिवृद्धि नहीं होगी?
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क्या आप बालकों को सरल शब्दों तक ही सीमित कर देना चाहते हैं?
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मानता कि आप शिशु-गीत सरल शब्दों में लिख रहे हैं, अच्छा काम कर रहे हैं।
परन्तु मेरी सोच कुछ और ही है या यूँ कहिए कि मैं बाल कविताएं
लिखना नहीं जानता हूँ!
अभी आपसे मुझे बहुत कुछ सीखना है!
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प्रति कमेंट को अन्यथा मत लीजिएगा!
बड़ा खतरनाक है।
जवाब देंहटाएंवाह वाह वाह...
जवाब देंहटाएंअच्छी बाल कविता है। बिच्छू जैसे नकारात्मक जीव को भी आपने गेय बना दिया!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया जी धन्यवाद
जवाब देंहटाएंकमाल की ज़हरीली कविता थी.. माफ कीजियेगा एक घातक प्राणि पर जीवंत कविता!!
जवाब देंहटाएंबिच्छू को पूर्णतया विश्लेषित करती सुन्दर बाल कविता...
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पोस्ट लेखन के लिए बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से, आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - पधारें - नयी दुनिया - गरीब सांसदों को सस्ता भोजन - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा
बहुत उत्तम रचना | चित्र भी बहुत अच्छा लगा बधाई
जवाब देंहटाएंआशा
अच्छा लगा !
जवाब देंहटाएं