आ गईं बहारें मधुवन में, गुलशन में कलियाँ चहक उठीं, पुष्पित बगिया भी महक उठी, अनुरक्त हुआ मन का आँगन। आया बसन्त, आया बसन्त।१। चिड़ियों ने छाया नववितान, यौवन ने ली है अँगड़ाई, सूखी शाखा भी गदराई, बौराये आम, नीम-जामुन। आया बसन्त, आया बसन्त।२। हिम हटा रहीं पर्वतमाला, तम घटा रही रवि की ज्वाला, गूँजे हर-हर, बम-बम के स्वर, दस्तक देता होली का ज्वर, सुखदायी बहने लगा पवन। आया बसन्त, आया बसन्त।३। भँवरे रस पीते हुए मिले, मधुमक्खी शहद समेट रही, सुन्दर तितली भर पेट रही, निखरा-निखरा है नील गगन। |
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शनिवार, 29 जनवरी 2011
"आया बसन्त" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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आपने तो अपनी कविता के माध्यम से वसंत को धरती पर उतार दिया है, बधाईयाँ आपको !
जवाब देंहटाएंवाह आपकी रचना तो चित्रों से भी ज्यादा जीवंत हो उठी है
जवाब देंहटाएंइस वसंत हमे एक से एक बढ़िया रचना पढ़ने को मिल रही है...बहुत ही सुंदर वसंत का गीत...
जवाब देंहटाएंसुमधुर शब्दों से सज्जित कविता के साथ ही सुन्दर चित्रों के माध्यम से आपने इस आते बसन्त को बखूबी यहाँ उतार दिया है । आभार..
जवाब देंहटाएंनिखरा-निखरा है नील गगन।
जवाब देंहटाएंआया बसन्त, आया बसन्त।4।
behad sunder.
bahut baddhiya. ham sab milkar swagat karen basant ka..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गीत बसंत पर ...बस अब ऋतुराज का आगमन होने को है ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ...बसंत का चित्रण ....
जवाब देंहटाएंहम भी एंज्वॉय करना चाहते हैं पर मौसम विभाग की भविष्यवाणियां सिहरन पैदा कर रही हैं।
जवाब देंहटाएंआपकी कविताओं से बसन्त का आना भी सुन्दर लगने लगा है।
जवाब देंहटाएं*और भी
जवाब देंहटाएंसुंदर चित्रों के साथ
जवाब देंहटाएंबसंत आगमन की सूचना देता मनोहारी गीत!
कविता और तस्वीरें दौनों ने ही वसंत को आँखों के सामने ला कर रख दिया है |बहुत सार्थक चित्रण बहुत बहुत बधाई |
जवाब देंहटाएंआशा
कोयल ने गाया मधुर गान,
जवाब देंहटाएंचिड़ियों ने छाया नववितान,
यौवन ने ली है अँगड़ाई,
सूखी शाखा भी गदराई,
बौराये आम, नीम-जामुन।
आया बसन्त, आया बसन्त ...
मधुर बसंत गीत ... बसंती रंगों को बिखेर रहा है आपका ब्लॉग ...
बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएं