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मन में एक आशा है,
जवाब देंहटाएंअब बसन्त आयेगा!
खिल जायेंगे नव सुमन,
उपवन मुस्कायेगा!
बिल्कुल जी अब तो यही आशा है …………बहुत ही सुन्दर चित्रण किया है।
सूरज अदृश्य है,
जवाब देंहटाएंपड़ रहा पाला है।।
पर्वत ने ओढ़ लिया,
बर्फ का दुशाला है।।
...Bahut khubsurat abhivyakti..badhai.
उत्तरायणी सूर्य के बावजूद यह आलम!
जवाब देंहटाएंप्रतिपल हम भी नवोन्मेष की आशा में जी रहे हैं।
जवाब देंहटाएंbahut achi rachna
जवाब देंहटाएंसुन्दर आशावादी रचना ,, खूब..
जवाब देंहटाएंयथार्थमय सुन्दर पोस्ट
जवाब देंहटाएंकविता के साथ चित्र भी बहुत सुन्दर लगाया है.
फुर्सत मिले तो 'आदत.. मुस्कुराने की' पर आकर नयी पोस्ट ज़रूर पढ़े .........धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंशीत का सुन्दर चित्रण ..बहुत अच्छी रचना ...बसंत का इंतज़ार है
जवाब देंहटाएंअरे साहब, बिल्कुल आयेगा...
जवाब देंहटाएंमन में एक आशा है,
जवाब देंहटाएंअब बसन्त आयेगा!
खिल जायेंगे नव सुमन,
उपवन मुस्कायेगा!!
बहुत ही सुन्दर चित्रण. बधाई स्वीकार करें.
रचना
मन में एक आशा है,
जवाब देंहटाएंअब बसन्त आयेगा!
खिल जायेंगे नव सुमन,
उपवन मुस्कायेगा!!
बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ। पढ़कर प्रकृति पर प्यार आ रहा है। वैसे भी अब बसन्त आ ही गया है।
उत्साह और सकरात्मक ऊर्जा का प्रवाह..!!!! बहुत सुंदर..!!
जवाब देंहटाएंमन में एक आशा है,
जवाब देंहटाएंअब बसन्त आयेगा!
खिल जायेंगे नव सुमन,
उपवन मुस्कायेगा!!
हर अंधेरे के गर्भ से उजाले का जन्म होता है।
प्रकृति के एक रूप का मनभावन चित्रण।
आशावादी रचना मन को भा गई।
बहुत सुंदर जीवंत चित्रण .....
जवाब देंहटाएंपर्वत ने ओढ़ लिया,
जवाब देंहटाएंबर्फ का दुशाला है।
bahut achchi lagi.
वर्फ का दुशाला है पर उफ यह ठण्ड।
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना आज मंगलवार 18 -01 -2011
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/2011/01/402.html
पाला तो पड़ गया बस अब ऐसा दिन आएगा जब हिमपात होगा!
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर , लाजबाब रचना !
जवाब देंहटाएंbahut khubsurat varnan...........
जवाब देंहटाएंक्या कहना शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंआपकी रचनाधर्मिता प्रणम्य है |
अबाध गति से लेखनी चलती रहे , कविता निधि स्वतः मिलती रहेगी |
कविता पढ़कर ही ठण्ड लगने लगी।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर कविता । अच्छा चित्रण प्रस्तुत किया है आपने । आभार !
जवाब देंहटाएं"गजलहै जान से प्यारा ये दर्दे मुहब्बत"
सुंदर रचना -
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें
सुन्दर,सरस और सरल !
जवाब देंहटाएंमन में एक आशा है,
जवाब देंहटाएंअब बसन्त आयेगा!
खिल जायेंगे नव सुमन,
उपवन मुस्कायेगा!
आद. शास्त्री जी,
ये आशा सही रही है...
महीने भर की ऐसी सर्दी से जूझने के बाद अब कुछ राहत मिली है...
मन में एक आशा है,
जवाब देंहटाएंअब बसन्त आयेगा!
खिल जायेंगे नव सुमन,
उपवन मुस्कायेगा!
बहुत देख ली ठण्ड अब वसंत का हमें भी इंतजार है
bahut bahut sundar abhivyakti...
जवाब देंहटाएंbahut sundar... adbhut chitran paale kaaa..
जवाब देंहटाएं