यौवन गया, बुढ़ापा आया। जो ठाना वो कर दिखलाया।। पुतली के परदे पर सारे घूम रहे हैं चित्र सलोने, जीवित होकर झूम रहे हैं जीवन के सब खेल-खिलौने, सारे झंझावातों से मैंने जमकर संघर्ष किया, हार नहीं मानूँगा, मैंने ऐसा शिवसंकल्प लिया, खट्टा-मीठा अनुभव पाया, नहीं कभी मन को भटकाया। जो ठाना वो कर दिखलाया।। लहरों से में लड़ा हमेशा, हिम्मत को पतवार बनाया, सागर के भँवरों में मैंने, चप्पू को हथियार बनाया, जो छलनी में दूध दूहता, खाली हाथ लौट आता है, जो चिड़िया की आँख देखता, वो ही लक्ष्य बेध पाता है, निर्बल पर नहीं हाथ उठाया, बलवानों पर दाँव चलाया। जो ठाना वो कर दिखलाया।। चीर पर्वतों की छाती को, बहता कल-कल जल का धारा, जीते-जी तुम हार न मानों, जीवन मिलना कठिन दुबारा, आये हो तो कुछ कर जाओ, दुनिया में कुछ नाम कमाओ, समय बहुत ही मूल्यवान है, आलस में मत समय गँवाओ, जिसने माँ का मान बढ़ाया, वो ही है माता का जाया। जो ठाना वो कर दिखलाया।। |
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गुरुवार, 13 सितंबर 2012
"जो ठाना वो कर दिखलाया" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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जो ठाना वो कर दिखलाया वाह जो ठानते हैं वही तो सफल होते हैं एक कहावत हैं नेवर गिव अप आपने उसे सार्थक किया बहुत अच्छा सन्देश देती हुई रचना बधाई आपको
जवाब देंहटाएंखट्टा-मीठा अनुभव पाया,
जवाब देंहटाएंनहीं कभी मन को भटकाया।
जो ठाना वो कर दिखलाया..
आपके जीवन को साकार करती पंक्तियाँ ...
नमस्कार शास्त्री जी ..
आत्मविश्वास को बढाती हुयी जबरदस्त पंक्तिया
जवाब देंहटाएंबिलकुल, होना भी यही चाहिए ! जो थानों वो कर दिखलाओ ! आत्मसंतोष भरी इस कृति के लिए शुभकामनाये शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंबहुत बड़ी उपलब्धि है ..
जवाब देंहटाएंकुछ तो कर दिखाना ही है..
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत ही उत्कृष्ट!!
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारा गीत है.
जवाब देंहटाएंखट्टे मीठे अनुभव रचना के माध्यम से साझा करने के लिये आभार,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST -मेरे सपनो का भारत
बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंबहुत कम लोग ही
ऎसा कर पाते हैं
ज्यादातर तो पहले
ठानते ही नहीं
या असली मौकों पर
पीठ कर जाते हैं !
सुन्दर...अति सुन्दर..
जवाब देंहटाएंBahut sundar rachna....
जवाब देंहटाएंवाह ... बहुत ही बढिया।
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया गीत
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति .आभार
Jo thana wo kar dikhlaya .
जवाब देंहटाएंkash sabhee aisa kar payen. Aap ko bahut badhaee.