कहीं धूप है कहीं छाँव है, कहीं उठ रहे बादल काले। चिड़ियाँ कलरव गान सुनातीं, मौसम के हैं ढंग निराले।। पूरब से आती है पुरवा, पश्चिम से पछुआ आती है मस्त हवाओं में मस्ती से, फसल धान की लहराती है, जंगल में मयूर ने अपने, पंख पुराने भू पर डाले। मौसम के हैं ढंग निराले।। चन्दा भी है-सूरज भी है, नभ का कितना अजब नजारा, सातों रंग समेटे उगता, धनुष इन्द्र का कितना प्यारा, पल में बनता और बिगड़ता, देख हुए बालक मतवाले। मौसम के हैं ढंग निराले।। बिछा हुआ कालीन घास का, हरियाली सबको है भाती, मेढक टर्र-टर्र चिल्लाते, वर्षा रिम-झिम राग सुनाती, आसमान का पानी पीकर, उफन रहे हैं नदियाँ-नाले। मौसम के हैं ढंग निराले।। |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
शनिवार, 15 सितंबर 2012
"मौसम के हैं ढंग निराले" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि &qu...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
बहुत प्यारी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंवाह एक और प्यारी सी कविता आपकी कलम से..!
जवाब देंहटाएंbahut sundar rachna Shastri ji ...!!
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen ...!!
सुन्दर वर्णन, रसमय भाषा,
जवाब देंहटाएंसारे दृश्य दिखा डाले हैं।
हां जी दो दिन से इस मौसम ने करवट ली हैं ...बढिया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर !:)
जवाब देंहटाएंबिछा हुआ कालीन घास का,
जवाब देंहटाएंहरियाली सबको है भाती,
मेढक टर्र-टर्र चिल्लाते,
वर्षा रिम-झिम राग सुनाती,
आसमान का पानी पीकर,
उफन रहे हैं नदियाँ-नाले।
मौसम के हैं ढंग निराले।।
काव्य सौन्दर्य छंद रस देखते ही बनता है इस गीत(प्रगीत ) का .
ram ram bhai
शनिवार, 15 सितम्बर 2012
देश मेरा - हो गया अकविता ,
हुए चंद, रूप मतवाले ,
जवाब देंहटाएंमौसम के हैं, ढंग निराले ,
प्रकृति नटी के, रंग निराले .
कुछ के मुंह के छीने निवाले ,
बढ़िया रचना लाये शास्त्री जी .
बहुत बढ़िया प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंपर दिल्ली का मौसम |
हाय हाय-
मनमोहक नज़ारे और दिल को छू लेने वाला कलाम !
जवाब देंहटाएंशुक्रिया !
मौसम के हर रूप का वर्णन...बहुत सुंदर !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बरसात के मौसम का चित्रण किया है शास्त्री जी बधाई एक चित्रण ये भी है की मेरे गार्डन के कितने पौधे धराशाई हो गए हैं अतिवृष्टि से
जवाब देंहटाएंमौसम के सारे रंग है कविता में !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चित्रमय प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर...
:-)
pyara mausam:)
जवाब देंहटाएं