जो नंगापन ढके हमारा हमको वो परिधान चाहिए।
साध्य
और साधन में हमको समरसता संधान चाहिए।।
अपनी
मेहनत से ही हमने, अपना वतन सँवारा है,
जो
कुछ इसमें रचा-बसा, उस पर अधिकार हमारा है,
सुलभ
वस्तुएँ हो जाएँ सब, नहीं हमें अनुदान चाहिए।
साध्य
और साधन में हमको समरसता संधान चाहिए।।
प्रजातन्त्र
में राजतन्त्र की गन्ध घिनौनी आती है,
धनबल
और बाहुबल से, सत्ता हथियाई जाती है,
निर्धन
को भी न्याय सुलभ हो,ऐसा सख़्तविधान चाहिए।
साध्य
और साधन में हमको समरसता संधान चाहिए।।
उपवन
के पौधे आपस में, लड़ते और झगड़ते क्यों?
जो
कोमल और सरल सुमन हैं उनमें काँटे गड़ते क्यों?
मतभेदों
को कौन बढ़ाता, इसका अनुसंधान चाहिए।
साध्य
और साधन में हमको समरसता संधान चाहिए।।
इस
सोने की चिड़िया के, सारे ही गहने छीन लिए,
हीरा-पन्ना,
माणिक-मोती, कौओ ने सब बीन लिए,
हिल-मिलकर
सब रहें जहाँ पर हमको वो उद्यान चाहिए।
साध्य
और साधन में हमको समरसता संधान चाहिए।।
|
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बुधवार, 26 सितंबर 2012
"हमको वो परिधान चाहिए" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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इस सोने की चिड़िया के, गहने किसने हैं छीन लिए?
जवाब देंहटाएंहीरा-पन्ना, माणिक-मोती, कौओ ने सब बीन लिए,
हिल-मिलकर सब रहें जहाँ पर हमको वो उद्यान चाहिए।
साध्य और साधन में हमको समरसता संधान चाहिए।।
बहुत सुन्दर आह्वान्।
शिक्षा प्रद |
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ||
आभार गुरुवर ||
एक गौरवशाली अस्तित्व को बनाये रखने के लिये, यह माँगें आवश्यक हैं।
जवाब देंहटाएंशिक्षा देती सुंदर रचना |
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट:-
♥♥*चाहो मुझे इतना*♥♥
इस सोने की चिड़िया के, सारे ही गहने छीन लिए,
जवाब देंहटाएंहीरा-पन्ना, माणिक-मोती, कौओ ने सब बीन लिए,
शास्त्री जी को इस राष्ट्र के कोटिश :प्रणाम .इतने ओज वाली रचनाएं आप रोज़ परोस रहें हैं इस अलगाव को सुलगाए रखिए ,ये पीजा -पाश्ता ,नंगे कोयल हस्त भागेंगे यहाँ से .
बहुत ही उत्कृष्ट रचना।
जवाब देंहटाएंएक उत्कृष्ट व् शिक्षाप्रद संदेशपरक प्रस्तुति बहुत ही बढ़िया बधाई आपको
जवाब देंहटाएंइस सोने की चिड़िया के, सारे ही गहने छीन लिए,
जवाब देंहटाएंहीरा-पन्ना, माणिक-मोती, कौओ ने सब बीन लिए,
हिल-मिलकर सब रहें जहाँ पर हमको वो उद्यान चाहिए।
अत्यंत शिक्षा प्रद प्रेरक एवं भावपूर्ण सन्देश युक्त प्रस्तुति ....
शुभ कामनाएं एवं बधाईयां आपको
अच्छी पेशकश.
जवाब देंहटाएं