नारी की महिमा अनन्त है। नारी से घर में बसन्त है।। किलकारी की गूँज सुनाती, परिवारों को यही बसाती। नारी नर की खान रही है, जन-जन का अरमान रही है। नारी की महिमा अनन्त है। नारी से घर में बसन्त है।। माता बनकर सेवा करती, मुस्कानों से घर को भरती। खाना सबके लिए बनाती, सबको खिला अन्त में खाती। नारी की महिमा अनन्त है। नारी से घर में बसन्त है।। नारि नर की सिरजनहार, नाम नारि (न+अरि) है शत्रु हजार, कौन सुनेगा करुण पुकार? डाकू से सब पहरेदार। नारी की महिमा अनन्त है। नारी से घर में बसन्त है।। नारि देती जीवन दान, शक्ति लो इसकी पहचान। मातृशक्ति का मान करो, नारि का सम्मान करो। नारी की महिमा अनन्त है। नारी से घर में बसन्त है।। |
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बुधवार, 19 सितंबर 2012
"नारी से घर में बसन्त है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बढ़िया प्रस्तुती |
जवाब देंहटाएंसही बात है-
आभार ||
बहुत सार्थक प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंवाह !
जवाब देंहटाएंसत्य है नारी से
घर में बसन्त है
पुरुष भी होता है
घर में कहीं कहीं
जी हा वो तो बस
होता एक संत है !
नारि देती जीवन दान,
जवाब देंहटाएंशक्ति लो इसकी पहचान।
मातृशक्ति का मान करो,
नारि का सम्मान करो।,,,,
बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,,
RECENT P0ST ,,,,, फिर मिलने का
सत्य को अभिव्यक्त करती सुन्दर रचना ... आभार ।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंसादर!
सार्थक सुन्दर प्रस्तुति ...!!
जवाब देंहटाएंआपकी भावनाओं को नमन शास्त्री जी ...!!सुबह सुबह इतनी सुन्दर रचना पढ़ कर मन प्रसन्न हो गया ..!!
Beautiful creation !
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी और सकारात्मक रचना, बधाई।
जवाब देंहटाएंनारी की महिमा अनन्त है।
जवाब देंहटाएंsach kaha shastri ji ...
"नारी से घर में बसन्त है"
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया प्रस्तुति।
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहके बहके नररूपों को महका महका घर मिलता है।
जवाब देंहटाएंनारी से घर में बसंत है ...सच ही !
जवाब देंहटाएंअत्यंत भाव पूर्ण अभिव्यक्ति ..नारी से इस धरा पर बसंत है...
जवाब देंहटाएंनारी की जहाँ पूजा (सम्मान ) होती है वहाँ देवता निवास करते हैं...
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता........
बहुत सही कहा...नारी ही स्वयं बसंत है |
जवाब देंहटाएंनारी से ही तो बसंत है ||
सच्चाई की अभिव्यक्ति अतिसुन्दर गीत वाह बहुत बधाई शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएं