आज एक पुराना गीत रहते थे पास में जो, वो दूर हो गये हैं। मगरूर थे कभी जो, मजबूर हो गये हैं।। श्रृंगार-ठाठ सारे, करने लगे किनारे, महलों में रहने वाले, मजदूर हो गये हैं। मगरूर थे कभी जो, मजबूर हो गये हैं।। थे जो कभी सरल से, अब बन गये गरल से, जो थे कभी सलोने, बे-नूर हो गये हैं। मगरूर थे कभी जो, मजबूर हो गये हैं।। रहते गुमान में थे. बैठे जो शान से थे, पर्वत से टूटकर कर वो,सब चूर हो गये हैं। मगरूर थे कभी जो, मजबूर हो गये हैं।। सपने हुए सयाने, सच को लगे चिढ़ाने, अब देखकर हकीकत, काफूर हो गये हैं। मगरूर थे कभी जो, मजबूर हो गये हैं।। |
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सोमवार, 17 सितंबर 2012
"बे-नूर हो गये हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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थे जो कभी सरल से, अब बन गये गरल से,
जवाब देंहटाएंजो थे कभी सलोने, बे-नूर हो गये हैं।
मगरूर थे कभी जो, मजबूर हो गये हैं।।
यही है ज़िन्दगी का सच ।
रहते गुमान में थे. बैठे जो शान से थे,
जवाब देंहटाएंपर्वत से टूटकर कर वो,सब चूर हो गये हैं।
मगरूर थे कभी जो, मजबूर हो गये हैं।।
एक कटु सत्य जीवन का , जिससे इनकार नहीं किया जा सकता है. जीवन के सत्य को समझ कर जिया जाय तो बहुत सुखद है नहीं तो --
कर्म प्रधान विश्व रचि रखा, जो जस करई सो जस फल चखा .
ये जिंदगी कुछ इस तरह भी .....
जवाब देंहटाएंवाह...
जवाब देंहटाएंरहते गुमान में थे. बैठे जो शान से थे,
पर्वत से टूटकर कर वो,सब चूर हो गये हैं।
मगरूर थे कभी जो, मजबूर हो गये हैं।।
अच्छा हुआ...होना ही था......
बढ़िया रचना सर.
सादर
अनु
bahut achchi lagi.....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंमगरूर को मजबूर होना ही पड़ता है एक दिन...
जवाब देंहटाएंबहुत बड़ी सच्चाई शास्त्री सर !
~सादर !
सपने हुए सयाने, सच को लगे चिढ़ाने,
जवाब देंहटाएंअब देखकर हकीकत, काफूर हो गये हैं।
मगरूर थे कभी जो, मजबूर हो गये हैं।।
बहुत ही सुंदर रचना |
मेरी नई पोस्ट में आपका स्वागत है |
बुलाया करो
गजब प्रस्तुति गुरु जी ।।
जवाब देंहटाएंसबको एक दिन ढह जाना है,
जवाब देंहटाएंलहर समय की, बह जाना है।
काश लोग समझ पाते हकीकत को ..
जवाब देंहटाएंखासतौर पर हमारे तहजीब के शहर वाले
बहुत सुंदर
मगरूर थे कभी जो, मजबूर हो गये हैं।।
जवाब देंहटाएंवाह !
पर समय के साथ यही होता है
उस समय फिर आदमी रोता है !
बहुत बढ़िया.बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंथे जो कभी सरल से, अब बन गये गरल से,
जवाब देंहटाएंजो थे कभी सलोने, बे-नूर हो गये हैं।
बहुत सटीक
अच्छी कविता
जवाब देंहटाएं