सोने-चाँदी की चाह नहीं, मैं केसरिया शृंगार करूँ। चन्दा से मुझको मोह नहीं, सूरज को अंगीकार करूँ।। नेता सुभाष, आजाद, भगत, फिर से आओ इस भारत में, मोहन दो चक्रसुदर्शन को, क्यों चरखे की दरकार करूँ। जब भरी सभा में चीर खिँचा, खामोश रही-बिजली न बनी, अब नहीं चाहिए पांचाली, लक्ष्मीबाई स्वीकार करूँ। सीमा पर वीर-बाँकुरे तो, बारूद-आग से खेल करें, जो देशप्रेम को सुलगा दें, उन अंगारों से प्यार करूँ। अपनी वीणा से माताजी, अब मुझको तान सुनाओ मत, दे दो अपना त्रिशूल मुझे, मैं अरिमस्तक पर वार करूँ। अपने अधिकारों की भिक्षा, बन दीन-दलित क्यों माँग रहे, अपनी वस्तु को पाने को, दुर्जन से क्यों मनुहार करूँ! |
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सोमवार, 3 सितंबर 2012
"चन्दा से मुझको मोह नहीं" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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जब भरी सभा में चीर खिँचा, खामोश रही-बिजली न बनी,
जवाब देंहटाएंअब नहीं चाहिए पांचाली, लक्ष्मीबाई स्वीकार करूँ।
बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी .बेह्तरीन अभिव्यक्ति .शुभकामनायें.
आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको
और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है .कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये
सोने-चाँदी की चाह नहीं, मैं केसरिया शृंगार करूँ।
जवाब देंहटाएंचन्दा से मुझको मोह नहीं, सूरज को अंगीकार करूँ।।
बहुत सुंदर
सहमत
वाह....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर शास्त्री जी...
सादर नमन.
अनु
देशप्रेम की भावना जगाती सुन्दर प्रस्तुति ..आभार
जवाब देंहटाएंजो देशप्रेम को सुलगा दें, उन अंगारों से प्यार करूँ।
जवाब देंहटाएंsarthak evam prabal rachna ...!!
अपने अधिकारों की भिक्षा, बन दीन-दलित क्यों माँग रहे,
जवाब देंहटाएंअपनी वस्तु को पाने को, दुर्जन से क्यों मनुहार करूँ!
परिवर्तन को आतुर पोस्ट ,जोशीली मनभावन पोस्ट ,इतिहास सृजन को आतुर पोस्ट .सुन्दर ,मनोहर .
सोमवार, 3 सितम्बर 2012
स्त्री -पुरुष दोनों के लिए ही ज़रूरी है हाइपरटेंशन को जानना
स्त्री -पुरुष दोनों के लिए ही ज़रूरी है हाइपरटेंशन को जानना
What both women and men need to know about hypertension
सेंटर्स फार डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के एक अनुमान के अनुसार छ :करोड़ अस्सी लाख अमरीकी उच्च रक्त चाप या हाइपरटेंशन की गिरिफ्त में हैं और २० फीसद को इसका इल्म भी नहीं है .
क्योंकि इलाज़ न मिलने पर (शिनाख्त या रोग निदान ही नहीं हुआ है तब इलाज़ कहाँ से हो )हाइपरटेंशन अनेक स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं खड़ी कर सकता है ,दिल और दिमाग के दौरे के खतरे के वजन को बढा सकता है .दबे पाँव आतीं हैं ये आफत बारास्ता हाइपरटेंशन इसीलिए इस मारक अवस्था (खुद में रोग नहीं है जो उस हाइपरटेंशन )को "सायलेंट किलर "कहा जाता है .
माहिरों के अनुसार बिना लक्षणों के प्रगटीकरण के आप इस मारक रोग के साथ सालों साल बने रह सकतें हैं .इसीलिए इसकी(रक्त चाप की ) नियमित जांच करवाते रहना चाहिए .
वाह..
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन रचना सर जी..
शानदार....
:-)
कविता का जोश प्रेरित करता है।
जवाब देंहटाएंऊँचा सोचना है तो राह कठिन चुननी ही होगी..
जवाब देंहटाएंbahut badhiya prasang guru jee...
जवाब देंहटाएंगहन भाव लिए बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंनेता सुभाष, आजाद, भगत, फिर से आओ इस भारत में,
जवाब देंहटाएंमोहन दो चक्रसुदर्शन को, क्यों चरखे की दरकार करूँ ..
बहुत खूब ... देश प्रेम की भावना लिए ... आक्रोश लिए .. ज्वार लिए लाजवाब रचना है शास्त्री जी ...
देशप्रेम के आगे नतमस्तक हो हम !
जवाब देंहटाएंबढ़िया !