‘‘अ‘’
‘‘अ‘’ से अल्पज्ञ सब, ओम् सर्वज्ञ है।
ओम् का जाप, सबसे बड़ा यज्ञ है।।
‘‘आ’’
‘‘आ’’ से आदि न जिसका, कोई अन्त है।
सारी दुनिया का आराध्य, वह सन्त है।।
‘‘इ’’
‘‘इ’’ से इमली खटाई भरी, खान है।
खट्टा होना खतरनाक, पहचान है।।
‘‘ई’’
‘‘ई’’ से ईश्वर का जिसको, सदा ध्यान है।
सबसे अच्छा वही, नेक इन्सान है।।
‘‘उ’’
उल्लू बन कर निशाचर, कहाना नही।
अपना उपनाम भी यह धराना नही।।
‘‘ऊ’’
ऊँट का ऊँट बन, पग बढ़ाना नही।
ऊँट को पर्वतों पर, चढ़ाना नही।।
‘‘ऋ’’
‘‘ऋ’’ से हैं वह ऋषि, जो सुधारे जगत।
अन्यथा जान लो, उसको ढोंगी भगत।।
‘‘ए’’
‘‘ए’’ से है एकता में, भला देश का।
एकता मन्त्र है, शान्त परिवेश का।।
‘‘ऐ’’
‘‘ऐ’’ से तुम ऐठना मत, किसी से कभी।
हिन्द के वासियों, मिल के रहना सभी।।
‘‘ओ’’
‘‘ओ’’ से बुझती नही, प्यास है ओस से।
सारे धन शून्य है, एक सन्तोष से।।
‘‘औ’’
‘‘औ’’ से औरों को पथ, उन्नति का दिखा।
हो सके तो मनुजता, जगत को सिखा।।
‘‘अं’’
‘‘अं’’ से अन्याय सहना, महा पाप है।
राम का नाम जपना, बड़ा जाप है।।
‘‘अः’’
‘‘अः’’ के आगे का स्वर,अब बचा ही नही।
इसलिए, आगे कुछ भी रचा ही नही।।
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शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2013
"स्वरावलि" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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अति सुन्दर वर्णन..हर एक शब्दो की सुन्दर प्रस्तुति...वाह...
जवाब देंहटाएंवाह, दोहे के रूप में सीखने योग्य स्वरावलि।
जवाब देंहटाएंलाजबाब ,,,शब्दो की शानदार सुन्दर प्रस्तुति...वाह...क्या बात है ,,,
जवाब देंहटाएंRecent post: गरीबी रेखा की खोज
सुन्दर प्रस्तुति |
आभार ||
प्रत्य्र्क स्वर वर्ण से एक दोहे की उत्पत्ति -अति उत्तम
जवाब देंहटाएंlatest postअनुभूति : कुम्भ मेला
recent postमेरे विचार मेरी अनुभूति: पिंजड़े की पंछी
अति उत्तम प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह बहुत शानदार शिक्षात्मक रचना. शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत सुंदर और सार्थक संदेश दिया स्वरावली ने
जवाब देंहटाएंनया ककहरा. वाह वाह..
जवाब देंहटाएंआपकी स्वरवलि सहेजने योग्य है ...चैतन्य को अक्षरों का अर्थ बताने हेतु ....इससे बेहतर क्या होगा :)
जवाब देंहटाएं्वाह गज़ब का प्रयोग किया है
जवाब देंहटाएंस्वर के माध्यम से बहुत बढ़िया प्रेरक प्रस्तुति ..धन्यवाद...
जवाब देंहटाएंhamesha kuch na kuch seekhne milta hai aap se....guru jii...beautiful...
जवाब देंहटाएं