वासन्ती परिधान ओढ़कर,
सूरज ने भी रंग दिखाया।
मुझको यह आभास होगया-
अब बसन्त का मौसम आया।।
पहिन बसन्ती-पीली
साड़ी,
फूली सरसों मनभावन
है।
गीत और संगीत बसन्ती,
मौसम लोक-लुभावन सा
है।
गेहूँ लहर-लहर
बलखाते,
भँवरा फूलों पर
मँडराया।
मुझको यह आभास हो
गया-
अब बसन्त का मौसम
आया।।
आम,
नीम भी बौराए है,
तरुवर नव पल्लव पाये है।
पीपल,गूलर भी हर्षित हैं,
भँवरे गुल पर आकर्षित हैं।
सेमल में भी फूल खिले हैं,
जंगल में पलाश मुस्काया।
मुझको यह आभास होगया-
अब बसन्त का मौसम आया।।
नील-गगन से छँटा कुहासा,
कोयल मीठे स्वर में गातीं,
हिमगिरि साफ दिखाई देते,
नदिया कल-कल नाद सुनातीं।
हीटर,
गीजर बन्द हो गए ,
सरदी ने भी कोप घटाया।
मुझको यह आभास होगया-
अब बसन्त का मौसम आया।।
|
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गुरुवार, 7 फ़रवरी 2013
"वासन्ती परिधान" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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nice.
जवाब देंहटाएंपहिन बसन्ती-पीली साड़ी,
जवाब देंहटाएंफूली सरसों मनभावन है।
गीत और संगीत बसन्ती,
मौसम लोक-लुभावन सा है।
बहुत सुंदर..अगर बसंत नहीं भी आया तो आपके इस आमन्त्रण से आ ही जायेगा..
आपकी रचना पढ़कर अब मुझे भी ये
जवाब देंहटाएंआभास हो गया की बसंत का मौसम आ गया...
बहुत ही सुन्दर और बेहतरीन रचना...
:-)
बसन्त का बहुत ही सुन्दर ढंग से स्वागत,मनमोहक प्रस्तुती।
जवाब देंहटाएंसुंदर चित्रण बसंत का ....
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना शास्त्री जी ।
बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति .आभार राजनीतिक सोच :भुनाती दामिनी की मौत आप भी जाने अफ़रोज़ ,कसाब-कॉंग्रेस के गले की फांस
जवाब देंहटाएंbasant ki bhavpurn abhivyakti,
जवाब देंहटाएंवाह जी सुदंर कविता
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबासन्ती परिधान समेटे धरा शुभ्र है..
जवाब देंहटाएंबसंत का आगमन दर्शाती खूबसूरत कविता
जवाब देंहटाएंhttp://guzarish6688.blogspot.in/2013/02/blog-post_7.html
स्वागत बसन्त...
जवाब देंहटाएंबसंत के आगमन का आभास दिलाती सुंदर कविता,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: रिश्वत लिए वगैर...
इन बासन्ती परिधानों में,
जवाब देंहटाएंखेतों में, इन खलिहानों में
देता है ऋतुराज दिखाई
छटा बसंती मन को भाई
शहरों में बस सन्नाटा है
कंकरीट ने वन पाटा है
सिर्फ गाँव ही कहता फिरता
अब बसंत का मौसम आया.....
सुंदर बासंती रचना.
पहिन बसन्ती-पीली साड़ी,
जवाब देंहटाएंफूली सरसों मनभावन है।
गीत और संगीत बसन्ती,
मौसम लोक-लुभावन सा है।
बहुत सुंदर..
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति आज शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंआम, नीम भी बौराए हैं .. जाने किस अतीत में छुपी खुशबू आ गयी पढ़ते पढ़ते! :)
जवाब देंहटाएंआ गया जी बसन्त का मौसम आगया। बहुत बढिया।
जवाब देंहटाएंसुंदर वासंती गीत ऋतुराज के स्वागत के लिये ।
जवाब देंहटाएं