मौसम के बदलाव से, बदल रहा है ढंग।
तोते-तोती पर चढ़ा, प्रणयदिवस का रंग।१।
गंगा मैली हो गई, बहती दूषित धार।
चूनरिया अब लाज की, हुई तार-बेतार।२।
रोज-रोज लुटती यहाँ, माँ-बहनों की लाज।
असभ्यता की दौड़ में, शामिल हुआ समाज।३।
प्यार नहीं है वासना, ये तो है उपहार।
जो आँखों में उमड़ता, वो है सच्चा प्यार।४।
मन के-मन के साथ में, मिलते जहाँ विचार।
आपस का विश्वास है, रिश्तों का आधार।५।
बिना बात के हो जहाँ, आपस में तक़रार।
कभी न जीवन में करो, ऐसा ओछा प्यार।६।
मनमन्दिर में धार लो. प्रेमदिवस का सार।
जो जीवनभर निभ सके, वो होता है प्यार।७।
|
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2013
"बदल रहा है ढंग" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि ...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
मन के-मन के साथ में, मिलते जहाँ विचार।
जवाब देंहटाएंआपस का विश्वास है, रिश्तों का आधार।५।
उम्दा बात ! बहुर सुन्दर !
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति प्रेम दिवस के साथ साथ सामाजिक बुराई को दर्शाया
जवाब देंहटाएंगुज़ारिश : ''......यह तो मौसम का जादू है मितवा......''
सादर-
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें-
जवाब देंहटाएंमनमन्दिर में धार लो. प्रेमदिवस का सार।
जो जीवनभर निभ सके, वो होता है प्यार।७।
बसंत के संग मदनोत्सव के रंग .वेलेंटाइन डे की अप्रतिम पोस्ट .
मौसम के बदलाव से, बदल रहा है ढंग।
जवाब देंहटाएंतोते-तोती पर चढ़ा, प्रणय दिवस का रंग,,,,,बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,,
RECENT POST: रिश्वत लिए वगैर...
baat pate ki..... :)
जवाब देंहटाएंbahut khhob sir ji!
रोज-रोज लुटती यहाँ, माँ-बहनों की लाज।
जवाब देंहटाएंअसभ्यता की दौड़ में, शामिल हुआ समाज।।
समाज के लोगों के मुंह पर तमाचा है सर जी।
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति.....
सुंदर प्रस्तुति शास्त्री सर!
जवाब देंहटाएंसच्चा प्यार वही है...जहाँ मन के मनके मिलें... :)
~सादर!!!
प्यार निर्मल सा रहे, बेझिझक बहता रहे।
जवाब देंहटाएंलाजवाब दोहे... बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुती,मन से मन का मिलन ही सच्चा प्यार होता है।
जवाब देंहटाएंबढ़िया भाव लिए है दोहावली गीत सा , भाई साहब .बेहतरीन रूपकात्मक्ता लिए हुए .शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .
जवाब देंहटाएंमौसम के बदलाव से, बदल रहा है ढंग।
तोते-तोती पर चढ़ा, प्रणयदिवस का रंग।१।
गंगा मैली हो गई, बहती दूषित धार।
चूनरिया अब लाज की, हुई तार-बेतार।२।
superb
जवाब देंहटाएंshared to my profile at facebook with a link of the blog .Thanks https://www.facebook.com/rajeshjainrohtak
जवाब देंहटाएं