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शुक्रवार, 31 दिसंबर 2010
"डूबा नया जमाना" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
गुरुवार, 30 दिसंबर 2010
"नये साल का अभिनन्दन" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
गये साल को है प्रणाम! है नये साल का अभिनन्दन।। लाया हूँ स्वागत करने को थाली में कुछ अक्षत-चन्दन।। है नये साल का अभिनन्दन।। |
गंगा की धारा निर्मल हो, मन-सुमन हमेशा खिले रहें, हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई के, हृदय हमेशा मिले रहें, पूजा-अजान के साथ-साथ, होवे भारतमाँ का वन्दन। है नये साल का अभिनन्दन।। नभ से बरसें सुख के बादल, धरती की चूनर धानी हो, गुरुओं का हो सम्मान सदा, जन मानस ज्ञानी-ध्यानी हो, भारत की पावन भूमि से, मिट जाए रुदन और क्रन्दन। है नये साल का अभिनन्दन।। |
नारी का अटल सुहाग रहे, निश्छल-सच्चा अनुराग रहे, जीवित जंगल और बाग रहें, सुर सज्जित राग-विराग रहें, सच्चे अर्थों में तब ही तो, होगा नूतन का अभिनन्दन। है नये साल का अभिनन्दन।। |
बुधवार, 29 दिसंबर 2010
"कर दूँगा रौशन जग सारा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
मंगलवार, 28 दिसंबर 2010
"आने वाला है नया साल" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
चमकेगा अब गगन-भाल। |
आशाएँ सरसती हैं मन में, खुशियाँ बरसेंगी आँगन में, सुधरेंगें बिगड़े हुए हाल। आने वाला है नया साल।। |
आयेंगी नई सफलताएँ, जन्मेंगे फिर से पाल-बाल। आने वाला है नया साल।। |
सिक्कों में नहीं बिकेंगे मन, सत्ता ढोयेंगे पावन जन, अब नहीं चलेंगी वक्र-चाल। आने वाला है नया साल।। |
हठयोगी, पण्डे और ग्रन्थी, हिन्दू-मुस्लिम, कट्टरपन्थी, अब नहीं बुनेंगे धर्म-जाल। आने वाला है नया साल।। |
सोमवार, 27 दिसंबर 2010
"मैना चहक रहीं उपवन में" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
दुर्जनता पसरी आँगन में।
कोयलिया खामोश हो गई,
मैना चहक रहीं उपवन में।।
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गहने तारे, कपड़े फाड़े,
लाज घूमती बदन उघाड़े,
यौवन के बाजार लगे हैं,
नग्न-नग्न शृंगार सजे हैं,
काँटें बिखरे हैं कानन में।
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मानवता की झोली खाली,
दानवता की है दीवाली,
चमन हुआ बेशर्म-मवाली,
मदिरा में डूबा है माली,
दम घुटता है आज वतन में।
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शीतलता रवि ने फैलाई,
पूनम ताप बढ़ाने आई,
बेमौसम में बदली छाई,
धरती पर फैली है काई,
दशा देख दुख होता मन में।
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सुख की खातिर पश्चिमवाले,
आते थे होकर मतवाले,
आज रीत ने पलटा खाया,
हमने उल्टा पथ अपनाया,
खोज रहे हम सुख को धन में।
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श्वान पालते बालों वाले,
बौने बने बड़े मनवाले,
जो थे राह दिखाने वाले,
भटक गये हैं बीहड-वन में।
मैना चहक रहीं उपवन में।।
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रविवार, 26 दिसंबर 2010
"अमन का पैगाम" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
♥ मेरी 800वीं पोस्ट ♥ दे रहा है अमन का पैगाम भारत!अब नहीं होगा हमारा देश आरत!! आदमी हँसकर मिले इनसान से, सीख लो यह सीख वेद-कुरान से, वाहेगुरू का भी यही उपदेश है, बाईबिल में प्यार का सन्देश है, दे रहा है अमन का पैगाम भारत! अब नहीं होगा हमारा देश आरत!! |
चार दिन की जिन्दगी, बाकी अंधेरी रात है, किसलिए फिर दुश्मनी की बात है, शूल की गोदी में पलते फूल हैं, बैर के अंकुर उगाना पेट में निर्मूल हैं, दे रहा है अमन का पैगाम भारत! अब नहीं होगा हमारा देश आरत!! |
खुद जिएँ, औरों को जीना हम सिखाएँ, इस धरा को स्वर्ग जैसा हम सजाएँ, जिन्दगी और मौत का मालिक खुदा , कर रहा क्यों खुद को अपनों से जुदा, दे रहा है अमन का पैगाम भारत! अब नहीं होगा हमारा देश आरत!! |
शनिवार, 25 दिसंबर 2010
"नये वर्ष का अभिनन्दन" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
नये वर्ष का अभिनन्दन! |
भू-नभ में फहराए पताका, गर्वित गाथाएँ चर्चित हों। दूर सभी हों भव-भय-बाधा, खिलता सुमन सदा हर्षित हों। राष्ट्रयज्ञ में अर्पित होकर, करना माता का वन्दन! नये वर्ष का अभिनन्दन! |
मानवता के लिए प्यार हो, अमल-धवल जल की धारा हो। धरती का धानी सिंगार हो, मीत हमारा जग सारा हो। स्वाभिमान से गर्वित होकर, फूलें-फलें हमारे नन्दन! नये वर्ष का अभिनन्दन! |
शुक्रवार, 24 दिसंबर 2010
"मेरी क्रिसमस" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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