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सोमवार, 13 दिसंबर 2010
" हमारी जिम्मेदारी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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तिमिर के प्रति संघर्ष करने को प्रेरित करती कविता...
जवाब देंहटाएंआलोकित करें धरा को
जवाब देंहटाएंबार-बार
ज्ञान का दीपक जलाएँ
हर वार
बार-बार.....
क्या बात है. बढ़िया.
ज्ञान तो हर समय आलोकित है।
जवाब देंहटाएंप्रेरणादायक/
जवाब देंहटाएंजीवन पथ को आलोकित करती हुई कविता !
जवाब देंहटाएं-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
वाह वाह जीवन पथ को ज्ञान द्वारा आलोकित करने के भाव बहुत ही सुन्दर हैं…………रचना प्रेरित करती है।
जवाब देंहटाएंalok ka vistar ho...
जवाब देंहटाएंप्रेरणादायक रचना.. जीवन का हर पथ आलोकित हो.. यही कामना है..
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत और शानदार रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना कल मंगलवार 14 -12 -2010
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
आपकी ये रचना बार-बार पढ़ने लायक़ और प्रेरणा देने वाली है। आपके ब्लॉग पर आना बहुत ही सुखद रहा। इतनी अच्छी रचना पढ़ने को मिली।
जवाब देंहटाएंकल आप मेरे ब्लॉग पर आए तो बहुत ही ख़ुशी हुई।
आप एक बार पहले भी मेरे ब्लॉग पर आए थे तो आपने मुझसे ब्लॉग का नाम हिन्दी में रखने के लिए कहा था। मैंने तुरन्त ब्लॉग का नाम हिन्दी में कर दिया था। लेकिन तब के बाद आप
अब आए। उम्मीद करता हूँ कि आपको ब्लॉग पसन्द आया होगा। आपका हर सुझाव मेरे लिए आपका आदेश होगा। इसीलिए बताते रहिएगा।
मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आपको दिल से धन्यवाद।
बहुत ही खूबसूरत और प्रेरक रचना...आभार
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रचना!
( किन्तु यह 'अकविता' क्यों है साहब !)
अति सुंदर रचना जी, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंwaakai mein zimmedaari hamaari hee hai!
जवाब देंहटाएंबहुत परिष्कृत लेखन है आपका |आज की कविता बहुत अच्छी लगी बहुत बहुत बधाई |
जवाब देंहटाएंआशा
बेहद सुन्दर ज्ञानवर्धक कविता जिसमे ज्ञान का दीपक जलाए रखने की बात कही गयी है.. .. भौति मृत्यो और जीवन से परे सभी कि जिम्मेदारी..
जवाब देंहटाएंनमन शास्त्री जी| आप सही कह रहे हैं, प्रयास होते रहने चाहिए हर बार, बारंबार, लगातार|
जवाब देंहटाएंसत्य कहा...
जवाब देंहटाएंमन आलोकित करती प्रेरणाप्रद प्रवाहमयी अतिसुन्दर रचना...वाह !!!