सड़क किनारे जो भी पाया, पेट उसी से यह भरती है। मोहनभोग समझकर, भूखी गइया तिनके चरती है।। |
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शुक्रवार, 10 दिसंबर 2010
"गइया और बछड़ा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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भोजन की आशा में बछड़ा,
जवाब देंहटाएंइधर-उधर को ताक रहा है।
कोई रोटी लेकर आये,
दरवाजे को झाँक रहा है
खूबसूरत भी करुण भी ....
बेह्द मार्मिक चित्रण किया है सच का।
जवाब देंहटाएंवाह आप तो किसी भी विषय पर इतनी सुंदर रचना गढ़ देते हैं. आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता, और खुद के डोमेन पर शिफ़्ट होने की बहुत बधाई, मिठाई की तस्वीर लगा देते या फ़िर मिठाई पर कोई कविता ही इस खुशी के मौके पर लगा देते.:)
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई.
रामराम.
@ ताऊ रामपुरिया!
जवाब देंहटाएंताऊ राम-राम!
लड्डू भी हैं जी!
आप मेरा नन्हें सुमन ब्लॉग तो देखिए!
दुखद हालात हैं..
जवाब देंहटाएंइन जानवरो की बद दुआ से बचना चाहिये, पता नही लोग केसे गाय ओर अन्य जानवरो को सडको पर छोड देते हे, ओर दुध के समय दुध दोहना अपना फ़र्ज ओर हक समझते हे, लानत हे इन पर, आप ने बहुत सुंदर शव्दो मे गाय ओर बछडे का दुख व्याण किया, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबछड़ों के प्रति अन्याय।
जवाब देंहटाएंमार्मिक रचना....
जवाब देंहटाएंमार्मिक चित्रण !
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
जो हमें पाल पोस कर बड़ा कर रहा है, उसके साथ भी इतना अन्याय
जवाब देंहटाएंआपकी बाल कविताओ का जवाब नही
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति... सच में आपकी कविताओं का जवाब नहीं...
जवाब देंहटाएंकैसे खाऊँ मैं कचरे को,
जवाब देंहटाएंबछड़ा मइया से कहता है।
दूध सभी दुह लेता मालिक,
उदर मेरा भूखा रहता है।।
बहुत बढ़िया तरीके से ओरास्तुत किया है
बेहद मार्मिक !!
जवाब देंहटाएंkaarunik chitra prastut karti rachna!
जवाब देंहटाएंbahut achha baal geet guru jee
जवाब देंहटाएं