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सच कह रहे हैं ...........हमारे भी हाथ ठिठुर रहे हैं ..........सर्दी ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है .
जवाब देंहटाएंआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (23/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
कुहरा छाया नील गगन में, अच्छी रचना।
जवाब देंहटाएंबढ़िया चित्रण!
जवाब देंहटाएंश्रीमान जी कविता बहुत ही सुन्दर है। सच्चाई का वर्णन है। ये कविता बेहद पसंद आई।
जवाब देंहटाएंकोहरे का बहुत सही और सुन्दर वर्णन ..अच्छी रचना .
जवाब देंहटाएंबहुत ठन्ड है.. आपकी कविता पढ़कर और लगने लगी..
जवाब देंहटाएंकोहरा, ठण्डक और मन्द हुये जीवन का सुन्दर चित्रण।
जवाब देंहटाएंसर जी इस ठढं को और कितना बढ़ाएगें। सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंकोहरा नील गगन में छाये तब तो चलता है
जवाब देंहटाएंब्लॉग जगत में टिप्पणी न आये तो खलता है
ekdam mousam ke anukool kavita hai.bahut achchi lagi.
जवाब देंहटाएंकंपकंपी छूट गई इस कविता को पढकर!!
जवाब देंहटाएंकोहरा तो सच मे ही छा गया हे जी , सुना हे सर्दी भी अपने जोवन पर हे भारत मे,बहुत सुंदर रचना ओर सुंदर चित्र. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ...पढने के साथ ही ठंडक ने आ दबोचा
जवाब देंहटाएंwaise thand ka mazaa alag hee hota hai guru ji maharaaj!
जवाब देंहटाएंवाहन की गति हुई मन्द है,
जवाब देंहटाएंचहल-पहल हो गई बन्द है,
शीतल धुआँ नजर आता है,
ऊनी कपड़े लदे बदन में।
कुहरा छाया नील गगन में।
सादगी से लबरेज़ सार्थक अभिव्यक्ति
बहुत ही सुन्दर ाउर समसामयिक रचना बधाई।
जवाब देंहटाएंकुहरा छाया नील गगन में … समसामयिक रचना । लेकिन इसे पढ़कर याद आया कि ठण्ड समाई हमारे बदन में ।
जवाब देंहटाएंसर्दिओं का रंग शब्दों मे। बधाई।
जवाब देंहटाएंवाहन की गति हुई मन्द है,
जवाब देंहटाएंचहल-पहल हो गई बन्द है,
शीतल धुआँ नजर आता है,
ऊनी कपड़े लदे बदन में।
कुहरा छाया नील गगन में।।
खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति,शास्त्री जी !
पारा ठिठका 6 से नीचे.
जवाब देंहटाएंकोहरा छाया नील गगन में ।
मौसम का संदेश बताती उत्तम भावपर्ण रचना । आभार...
JADA AA GAYA SHASTRIJI!
जवाब देंहटाएंBAHUT SARAL-SAHAJ RACHNA KI SUNDARTA KA KYA KAHNA!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पोस्ट लेखन के लिए बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - पधारें - पराजित होती भावनाएं और जीतते तर्क - सब बदल गए - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा