रोज सुबह उठना हो गया विलम्ब मैने सोचा आज गमलों मे उगे पौधे प्यासे होंगे मेरा इन्तजार कर रहे होंगे मैं जल्दी से पानी की बाल्टी लेकर छत पर गया वहाँ मेरी छः साल की पौत्री पौधों को सींच रही थी वह बार-बार नीचे आती थी और एक मग पानी लेकर छत पर जाती थी मैंने उससे कहा बिटिया? यह तुम क्या कर रही हो? उसने भोले पन से उत्तर दिया पौधों को पानी पिला रही हूँ जो आप करते थे वही मैं कर रही हूँ अब मुझे विश्वास हो गया कि आने वाली पीढ़ी के हाथों में हमारा भविष्य सुरक्षित है काश्... हमारा देश भी ................. |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
बुधवार, 15 दिसंबर 2010
"दिनचर्या" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि &qu...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
पौधों को पानी पिला रही हूँ
जवाब देंहटाएंजो आप करते थे
वही मैं कर रही हूँ ...
एक कोमल अहसास ...बहुत ही सुन्दर शब्द रचना ।
आपकी पौत्री को हमारा आशीर्वाद।
जवाब देंहटाएंबच्चे सिखाने से नहीं बल्कि देखने से सीखते हैं.आपकी पौत्री ने आपसे सीखा.
जवाब देंहटाएंबहुत शुभकामनाये.
सेतुबंध के समय गिलहरी का योगदान याद आ गया! हम घर से ही कुछ संस्कार दे सकते हैं बच्चों को.. देश ने तो उम्मीदें समाप्त कर दी हैं...
जवाब देंहटाएंबहुत ही मासूम कविता पंडित जी!!
kaash... kabhi badi peeda deta hai..
जवाब देंहटाएंआशाओं को बल प्रदान करते विश्वास बड़ी शक्ति देते हैं...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना!
बहुत सुंदर,आप की बात सही हे जी, पोत्री को हमारी तरफ़ से प्यार
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर। बच्चे तो देखकर ही सीखते हैं।
जवाब देंहटाएंkitni saralta se,sunderta se kah di itni badi baat.wah.
जवाब देंहटाएंवाह! दिल मे उतर गयी आपकी ये रचना और आपकी पोती मे आवेष्ठित आपके संस्कार ………………सच सुरक्षित है भविष्य ………………आपका कहना सही है काश देश का भी होता तो इन्ही के हाथो मे तो है कल ।
जवाब देंहटाएंकाश्...
जवाब देंहटाएंहमारा देश भी
kash such me aisa ho pata.
जिस तरह नन्हे बीज फूटते है पौधा और बीज बन नए पौधे की उत्त्पति होती है.. उसी तरह ये नन्हे बच्चे हमारे जीवन को आगे बढ़ाते है..हमारा भविष्य हैं ...बहुत सुन्दर रचना .. बिटिया को शुभकामनाये..
जवाब देंहटाएंबच्चे अपने बड़ों से ही सीखते हैं ..सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं