खार छाँटे, खार काटें, खार भूतल से हटायें। प्यार बोएँ, प्यार बाँटें, प्यार के पौधे उगायें। भूलकर मत-भेद सारे लोग मिल-जुलकर रहें, रौशनी के दीप लेकर हम धरा को जगमगायें।। |
बात हो मत भेद की तो ठीक है. पर नही मन-भेद होना चाहिए। ज्ञान की गंगा बहे तो ठीक है, गल्तियों पर खेद होना चाहिए।। |
राम जग में रम रहा है, राम ही रहमान है। चार दिन की जिन्दगी है, सब यहाँ मेहमान हैं।। |
दर्द-ओ-गम में जी रहा है आदमी, बस कलेवर सी रहा है आदमी। हँसी के बदले खुशी मिलती नही, वेदना को पी रहा है आदमी। |
दर्द-ओ-गम में जी रहा है आदमी,
जवाब देंहटाएंबस कलेवर सी रहा है आदमी।
हँसी के बदले खुशी मिलती नही,
वेदना को पी रहा है आदमी।
bahut khoob !
हमेशा की तरह यथार्थपरक.
जवाब देंहटाएंसुंदर शब्दों के साथ बहुत सुंदर रचना.....
जवाब देंहटाएंहर हर्फ लाजवाब है। जैसे फुलों में गुलाब है।
जवाब देंहटाएंबात हो मत भेद की तो ठीक है.
जवाब देंहटाएंपर नही मन-भेद होना चाहिए।
ज्ञान की गंगा बहे तो ठीक है,
गल्तियों पर खेद होना चाहिए।
मयंक जी बहुत सुन्दर रचना है बधाई
बात हो मत भेद की तो ठीक है.
जवाब देंहटाएंपर नही मन-भेद होना चाहिए।
बहुत सुंदर बात कही आपने. धन्यवाद
बात हो मत भेद की तो ठीक है.
जवाब देंहटाएंपर नही मन-भेद होना चाहिए।
ज्ञान की गंगा बहे तो ठीक है,
गल्तियों पर खेद होना चाहिए।।
बहुत अच्छी कविता।
शास्त्रीजी,
जवाब देंहटाएं'मतभेद' और 'मन-भेद' की अच्छी कही आपने ! गलतियों पर खेद-प्रकाश की सीख भी बड़ी मासूम इल्तिजा है ! सीधे-सच्चे छंदों में नई पीढ़ी को सुन्दर और प्रभावी सीख दे रहे हैं आप ! साधुवाद !!
सादर-- आनंद.
सुंदर सुंदर सार्थक संदेशों के साथ बेहतरीन छ्न्द प्रस्तुति...आभार शास्त्री जी!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंआप की रचना हमेशा अच्छी होती हैं
प्यार बांटे...खार छांटे ...
जवाब देंहटाएंचार दिन की जिंदगी में क्यों पीये वेदना का जहर
खुश रहे ...खुशियाँ बांटे ...
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ....!!
बढ़िया है।
जवाब देंहटाएंजीवन का ज्ञान , आभार
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar, sarthak aur prerak chhand.......badhayi
जवाब देंहटाएंमन भेद नही होना चाहिए
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने।