प्रीत और मनुहार लेकर आ रहे हैं। |
गाँव का होने लगा शहरीकरण, |
मत प्रदूषित ताल में गोता लगाना, |
जिन्दगी में फिर बहारें आयेंगी, |
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प्रीत और मनुहार लेकर आ रहे हैं। |
गाँव का होने लगा शहरीकरण, |
मत प्रदूषित ताल में गोता लगाना, |
जिन्दगी में फिर बहारें आयेंगी, |
गाँव का होने लगा शहरीकरण,
जवाब देंहटाएंदम घुटे किरदार लेकर आ रहे हैं।
हम हृदय में प्यार लेकर आ रहे हैं।
सुंदर विचारों से सजी एक खूबसरत कविता..अतिसुंदर धन्यवाद शास्त्री जी इस सुंदर प्रस्तुति के लिए..
हम तुम्हें अपना बनाने आ रहे हैं!
जवाब देंहटाएंप्यार से तुमको सजाने आ रहे हैं!!
ओंठों पर मधु-मुस्कान खिलाती शुभकामनाएँ!
नए वर्ष की नई सुबह में, महके हृदय तुम्हारा!
संयुक्ताक्षर "श्रृ" सही है या "शृ", उर्दू कौन सी भाषा का शब्द है?
संपादक : "सरस पायस"
बहुत सुंदर रचना है !!
जवाब देंहटाएंisse achhi kya bat ho skti hai ki ham pyar lekar aa rhe hai .
जवाब देंहटाएंbahut sundar kvita
अति सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंइस रचना ने मन मोह लिया।
जवाब देंहटाएंचौथी पंक्ति पढ़ कर ऐसा लगा
जवाब देंहटाएंकिराएदार लेकर आ रहे हैं
दिल में बसाने को यार आ रहे हैं
प्यार लेकर बेशुमार आ रहे हैं
हम प्यारे के मारे हुए हैं
प्यार से ही होंगे जिंदा
हमें जिंदा करने हमारे यार आ रहे हैं।
gaanv ka.... aur mat pradushit...
जवाब देंहटाएंconnection samajh mein nhi aaya..
बहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंअति सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
waah waah............badi hi gazab ki rachna likhi hai..........badhayi.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ! शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंगाँव का होने लगा शहरीकरण,
जवाब देंहटाएंसब लुटे किरदार लेकर आ रहे हैं ...
सत्य की अभिव्यक्ति ......... काड़ुवा सच है .....
आपको और आपके परिवार को नए साल की हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रचना लिखा है आपने!
आशान्वित होना अच्छा है. लेकिन उम्मीद कम है.
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