दिल में कुछ-कुछ होता है, जब याद किसी की आती है। मन सब सुध-बुध खोता है, जब याद किसी की आती है। गुलशन वीराना लगता है, पागल परवाना लगता है, भँवरा दीवाना लगता है, दिल में कुछ-कुछ होता है, जब याद किसी की आती है। मधुबन डरा-डरा लगता है, जीवन मरा-मरा लगता है, चन्दा तपन भरा लगता है, दिल में कुछ-कुछ होता है, जब याद किसी की आती है। नदियाँ जमी-जमी लगती हैं, दुनियाँ थमी-थमी लगती हैं, अँखियाँ नमी-नमी लगती हैं, दिल में कुछ-कुछ होता है, जब याद किसी की आती है। मन सब सुध-बुध खोता है, जब याद किसी की आती है।। |
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शनिवार, 3 जुलाई 2010
“.. ..कुछ-कुछ होता है!” (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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वाह एक अन्य सुंदर रचना के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार प्रेम कविता।
जवाब देंहटाएंमजा आ गया।
मधुबन डरा-डरा लगता है,
जवाब देंहटाएंजीवन मरा-मरा लगता है,
चन्दा तपन भरा लगता है,
बहुत सुन्दर..प्रेम भाव से भरी रचना...
प्रेम मे पगी हुई सुंदर रचना..
जवाब देंहटाएंis madhury ne baandh liya sir :)
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना के लिए आभार|
जवाब देंहटाएंइसको पढ़के भी कुछ कुछ हो रहा है ।
जवाब देंहटाएंआपकी रचना पढ कर वास्तव में कुछ कुछ हुआ।
जवाब देंहटाएं................
अपने ब्लॉग पर 8-10 विजि़टर्स हमेशा ऑनलाइन पाएँ।
अरे वाह ………आज तो प्रेम रस मे भीगी बहुत ही नाज़ुक कविता लिखी है……………प्रेम रस मे सराबोर कर दिया।
जवाब देंहटाएंप्रेम रस मै भीगी हुयी एक सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंयादें, वह कल की बातें, उभरती हैं, मिटती हैं। सोचिए कि यदि तनहाईयां ना होतीं तो क्या होता इनका
जवाब देंहटाएंयादें कभी नहीं मिटतीं ..प्रेमभाव लिए सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंबिल्कुल होता है... श्रीमन शास्त्री जी... ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंइसे ०४.0७.10 की चर्चा मंच (सुबह 06 बजे) में शामिल किया गया है।
http://charchamanch.blogspot.com/
बढ़िया!!!
जवाब देंहटाएंप्रेम की बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति! शास्त्री जी...
जवाब देंहटाएंआभार्!
बहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंहर रूप सुहाना लगता है जब याद किसी की आती है ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन कविता, यादों के लगभग हर रुप को उकेर दिया।
जवाब देंहटाएं0 तिरुपति बालाजी के दर्शन और यात्रा के रोमांचक अनुभव – १० [श्रीकालाहस्ती शिवजी के दर्शन..] (Hilarious Moment.. इंडिब्लॉगर पर मेरी इस पोस्ट को प्रमोट कीजिये, वोट दीजिये
कोई जवाब नही शास्त्री जी..कोई भी विधा हो कोई भी मौसम हो..हर विषय वस्तु पर नायाब रचना...बहुत खूब..सुंदर कविता के लिए साधुवाद..
जवाब देंहटाएंभाव भीनी रचना के लिए मेरी बहुत बहुत बधाई के साथ ,
जवाब देंहटाएंआशा
आपने तो अपनों की याद करा दी ... सीधे दिल में उतरती है आपकी रचना शास्त्री जी ...
जवाब देंहटाएं