क्या शायर की भक्ति यही है? जीवन की अभिव्यक्ति यही है! शब्द कोई व्यापार नही है, तलवारों की धार नही है, राजनीति परिवार नही है, भाई-भाई में प्यार नही है, क्या दुनिया की शक्ति यही है? जीवन की अभिव्यक्ति यही है! निर्धन-निर्धन होता जाता, अपना आपा खोता जाता, नैतिकता परवान चढ़ाकर, बन बैठा धनवान विधाता, क्या जग की अनुरक्ति यही है? जीवन की अभिव्यक्ति यही है! छल-प्रपंच को करता जाता, अपनी झोली भरता जाता, झूठे आँसू आखों में भर- मानवता को हरता जाता, हाँ कलियुग का व्यक्ति यही है? जीवन की अभिव्यक्ति यही है! |
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बुधवार, 14 जुलाई 2010
"जीवन की अभिव्यक्ति!” (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘‘मयंक’’)
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जीवन की सही अभिव्यक्ति तो यही है…………………आपने खूबसूरती से परिभाषित किया है……………………गज़ब का लेखन और चिन्तन्।
जवाब देंहटाएंअसरदार शब्दों से सुसज्जित कर बहुत सुंदर अभिव्यक्ति का रूप दिया है.
जवाब देंहटाएंे खूबसूरत अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंहाँ कलियुग का व्यक्ति यही है?
जवाब देंहटाएंजीवन की अभिव्यक्ति यही है!
सुन्दर अभिव्यक्ति...!!
सुन्दर गीत।
जवाब देंहटाएंजीवन का गणित पढकर आ रहा हूं। यहां जीवन की अभिव्यक्ति पढा तो पता चला कि क्यों नहीं हल होता जीवन का गणित!
जवाब देंहटाएंशब्द कोई व्यापार नही है,
जवाब देंहटाएंतलवारों की धार नही है,
सुन्दर रचना
शब्द व्यापार नहीं पर व्यापारी तो इसका भी व्यापार करते हैं
बहुत दम दार लगी आप की कविता
जवाब देंहटाएंमौजूदा हालात को बयां करती है आपकी रचना बेहद शानदार है.
जवाब देंहटाएंजायज सवाल
जवाब देंहटाएंआज की बदलती दुनिया का शब्द चित्रण...सुंदर रचना शास्त्री जी आभार
जवाब देंहटाएंbilkul sahi baat hai shastri ji....kya jeevan ki abhivyakti yahi hai
जवाब देंहटाएंआज के जीवन को बहुत सुंदरता से अभिव्यक्त किया है...
जवाब देंहटाएं