"साज-संगीत को छेड़ देना जरा,
हम तरन्नुम में भरकर
ग़ज़ल गायेंगे!"
आपने कल इस गीत को पढ़ा था! आज इसे सुनिए- "मेरी मुँह-बोली लाडली भतीजी अर्चना चावजी के स्वर में !!" हम तरन्नुम में भरकर ग़ज़ल गायेंगे!” |
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आपने कल इस गीत को पढ़ा था! आज इसे सुनिए- "मेरी मुँह-बोली लाडली भतीजी अर्चना चावजी के स्वर में !!" हम तरन्नुम में भरकर ग़ज़ल गायेंगे!” |
कविता को गा कर और भी खूबसूरत बना दिया वाह..
जवाब देंहटाएंकविता को गा कर और भी खूबसूरत बना दिया वाह..
जवाब देंहटाएंअर्चना जी की वाणी में मधुरता है, रचना निखर कर आ जाती है।
जवाब देंहटाएंअर्चना जी के स्वर का जवाब नहीं
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
बहुत खूबसूरती से गाया है गीत..वाह!
जवाब देंहटाएंbahut sundar swar hai...!!
जवाब देंहटाएंबहुत मधुर आवाज जी. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंbahut madhur aawaz hai ..bahut surila gaya hai.
जवाब देंहटाएंकविता को गा कर और भी खूबसूरत बना दिया वाह.
जवाब देंहटाएंकविता और आवाज दोनो सुन्दर। आभार।
जवाब देंहटाएंअर्चना जी की आवाज़ मे तो जादू है……………बहुत ही मधुर आवाज़ है………………कविता और आवाज़ के मेल ने गज़ब ढा दिया।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरती से गाया है गीत..वाह
जवाब देंहटाएंकमाल कर दिया आपने.
जवाब देंहटाएंआपको बधाई.
शब्दों के साथ आवाज़ के संगम ने कविता का असर और भी बढ़ा दिया...बहुत बढ़िया
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