एक पादप साल का, जिसका अस्तित्व नही मिटा पाई, कभी भी,समय की आंधी । ऐसा था, हमारा राष्ट्र-पिता,महात्मा गान्धी ।। कितना है कमजोर, सेमल के पेड़ सा- आज का नेता । जो किसी को,कुछ नही देता ।। दिया सलाई का- मजबूत बक्सा, सेंमल द्वारा निर्मित,एक भवन । माचिस दिखाओ,और कर लो हवन । आग ही तो लगानी है, चाहे-तन, मन, धन हो या वतन।। यह बहुत मोटा, ताजा है, परन्तु, सूखे साल रूपी,गांधी की तरह बलिष्ट नही, इसे तो गांधी की सन्तान कहते हुए भी- .........................।। |
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गुरुवार, 29 जुलाई 2010
“गांधी की सन्तान कहते हुए भी... ..” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
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बेहतरीन। लाजवाब।
जवाब देंहटाएंकितना है कमजोर,
जवाब देंहटाएंसेमल के पेड़ सा-
आज का नेता ।
जो किसी को,कुछ नही देता ।।
एक बेहतरीन व्यंग्य्……………गज़ब की चोट्।
हमारा राष्ट्र-पिता,महात्मा गान्धी ।।
जवाब देंहटाएंकितना है कमजोर,
सेमल के पेड़ सा-
आज का नेता ।
....yatharthprak rachna..
Karara vyang
बेहतरीन।
जवाब देंहटाएंइसे तो गांधी की सन्तान कहते हुए भी-
जवाब देंहटाएं.........................।।
badi sahi baat kahi.......bina likhe aapne...........:)
दिया सलाई का-
जवाब देंहटाएंमजबूत बक्सा,
सेंमल द्वारा निर्मित,एक भवन ।
माचिस दिखाओ,और कर लो हवन ।
आग ही तो लगानी है,
चाहे-तन, मन, धन हो या वतन।।
Bahut sundar, Shashtri ji
यह बहुत मोटा, ताजा है,
जवाब देंहटाएंपरन्तु,
सूखे साल रूपी,गांधी की तरह बलिष्ट नही,
इसे तो गांधी की सन्तान कहते हुए भी- .......
बहुत ही सटीक
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....लाजवाब ...
जवाब देंहटाएंसही कह रहे है शास्त्री जी आज तो बहुत कुछ बदल चुका है...बढ़िया रचना बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने!
जवाब देंहटाएंbahut hee sundar guru ji!
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी छोटी सी कविता में भी आपने बहुत बडी बात कह दी, बधाई।
जवाब देंहटाएं…………..
पाँच मुँह वाला नाग?
साइंस ब्लॉगिंग पर 5 दिवसीय कार्यशाला।
आज के नेता पर सटीक टिप्पणी। रचना में व्यंग्य होते हुए भी गहराई है।
जवाब देंहटाएंek kasa hua vyang ...jo sahi nishane par hai :)
जवाब देंहटाएंBilkul sahi kaha hai ..Aapne Sir.
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