निम्न गीत को सुनिए- अर्चना चावजी के मधुर स्वर में! सुख के बादल कभी न बरसे, दुख-सन्ताप बहुत झेले हैं! जीवन की आपाधापी में, झंझावात बहुत फैले हैं!! अनजाने से अपने लगते, बेगाने से सपने लगते, जिनको पाक-साफ समझा था, उनके ही अन्तस् मैले हैं! जीवन की आपाधापी में, झंझावात बहुत फैले हैं!! बन्धक आजादी खादी में, संसद शामिल बर्बादी में, बलिदानों की बलिवेदी पर, लगते कहीं नही मेले हैं! जीवन की आपाधापी में, झंझावात बहुत फैले हैं!! ज्ञानी है मूरख से हारा, दूषित है गंगा की धारा, टिम-टिम करते गुरू गगन में, चाँद बने बैठे चेले हैं! जीवन की आपाधापी में, झंझावात बहुत फैले हैं!! |
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गुरुवार, 15 जुलाई 2010
"मेरा गीत सुनिए- अर्चना चावजी के मधुर स्वर में!" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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बहुत सुरीला और कर्णप्रिय!
जवाब देंहटाएंबहुत मधुर आवाज लगी, ओर कविता भी अति सुंदर लगी धन्यवाद
जवाब देंहटाएंgeet toh kamaalhai hi...........
जवाब देंहटाएंswar bhi gazab hai........badhaai !
सुन्दर गीत, उतना ही सुन्दर गायन। अब मुझे प्रार्थना करनी पड़ेगी अर्चना जी से अनुग्रह करने की हमारी कविताओं पर भी।
जवाब देंहटाएंगीत बहुत सुन्दर और गायिका की आवाज़ ने इसे और सुन्दर बना दिया है..
जवाब देंहटाएंकविता और अर्चना जी की आवाज़ दोनो ही लाजवाब ।
जवाब देंहटाएंbandhk aajadi khadi men
जवाब देंहटाएंsnsad shamil barbadi men
rachna ke liye badhai
मधुर
जवाब देंहटाएंसुरीला और कर्णप्रिय
जवाब देंहटाएं