पंक में खिला कमल, किन्तु है अमल-धवल! बादलों की ओट में से, चाँद झाँकता नवल!! डण्ठलों के साथ-साथ, तैरते हैं पात-पात, रश्मियाँ सँवारतीं , प्रसून का सुवर्ण-गात, देखकर अनूप-रूप को, गया हृदय मचल! बादलों की ओट में से, चाँद झाँकता नवल!! पंक के सुमन में ही, सरस्वती विराजती, श्वेत कमल पुष्प को, ही शारदे निहारती, पूजता रहूँगा मैं, सदा-सदा चरण-कमल! बादलों की ओट में से, चाँद झाँकता नवल!! |
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गुरुवार, 8 जुलाई 2010
"पंक में खिला कमल" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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पंक के सुमन में ही,
जवाब देंहटाएंसरस्वती विराजती,
श्वेत कमल पुष्प को,
ही शारदे निहारती,
पूजता रहूँगा मैं,
सदा-सदा चरण-कमल!
बादलों की ओट में से,
चाँद झाँकता नवल!! .......bahut sundar kavita.badhaai.
आदरणीय मयंक जी !
जवाब देंहटाएंअब तो आपसे ईर्ष्या होने लगी है.............
बहुत ख़ूब.........वाह ! क्या बात है
परम आदरणीय चचा शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंसरस्वती की असीम कृपा है आप पर !
यह गीत तो बहुत ही मनभावन लिखा आपने ।
अब कोहनी वगैरह का ध्यान रखना।
…और हां , चाचीजी से कह कर नज़र ज़रूर उतरवालें , अपनी भी और आपकी लेखनी की भी ।
शुभकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
वाह जी वाह्………………अति उत्तम रचना है……………गज़ब की प्रस्तुति है……………पढकर दिल खुश हो गया।
जवाब देंहटाएंहर रोज कहां से लायें नये शब्द आपकी रचना की तारीफ के लिये.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर जी आज तो मन मोह लिया. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंपंक के सुमन में ही,
जवाब देंहटाएंसरस्वती विराजती,
श्वेत कमल पुष्प को,
ही शारदे निहारती,
पूजता रहूँगा मैं,
सदा-सदा चरण-कमल!
बादलों की ओट में से,
चाँद झाँकता नवल
बहुत उम्दा रचना..!!
श्वेत कमल पुष्प को,
जवाब देंहटाएंही शारदे निहारती,
पूजता रहूँगा मैं,
सदा-सदा चरण-कमल!
बहुत सुन्दर माँ शार्दे तो आपकी कलम मे रहती हैं। सुन्दर कविता बधाई
जितना सुन्दर कमल उतनी ही सुन्दर कविता.
जवाब देंहटाएंपंक की महिमा अपरम्पार..बधाई...
जवाब देंहटाएंपंक की महिमा अपरम्पार..बधाई...
जवाब देंहटाएंपंक के सुमन में ही,
जवाब देंहटाएंसरस्वती विराजती,
श्वेत कमल पुष्प को,
ही शारदे निहारती,
पूजता रहूँगा मैं,
सदा-सदा चरण-कमल!
शास्त्री जी ,
आपको माँ शारदा का वरदान मिला हुआ है...बहुत मनभावन रचना..जितनी बार भी पढ़ी जाये कम है...काश कभी यह रचना कक्षा ६ - ७ के बच्चों को पढाई जाये....यह मेरी हार्दिक अभिलाषा है...
बहुत सुन्दर कविता. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंपंक में भी खिलकर कमल कितनी सुन्दरता बिखेर देता है ..
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता ..!
सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंनत मस्तक आपके शब्द कौशल व धाराप्रवाहिता पर ।
जवाब देंहटाएंkya baat....kya baat....kya baat....
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