आज सुनिए मेरी पसन्द का यह गीत! इसको स्वर भर कर गाया है - सुश्री मिथिलेश आर्या ने! (यह गीत मेरा लिखा हुआ नहीं है।) गीत के बोल हैं- "जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया…. जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया, जब शम्मा बुझ गयी तो महफिल में रंग आया । मन की मशीनरी ने जब ठीक चलना सीखा, तब बूढ़े तन के हर एक पुर्जे में जंग आया । जब शम्मा बुझ गयी तो महफिल में रंग आया ।। गाड़ी निकल गयी तो घर से चला मुसाफिर, मायूस हाथ खाली बैरंग लौट आया । जब शम्मा बुझ गयी तो महफिल में रंग आया ।। फुरसत के वक्त में मेरे सिमरण का वक्त निकला, उस वक्त वक्त माँगा जब वक्त तंग आया । जब शम्मा बुझ गयी तो महफिल में रंग आया । आयु ने जब सभी कुछ हथियार फेंक डाले, यमराज फौज लेकर करने को जंग आया । जब शम्मा बुझ गयी तो महफिल में रंग आया ।। |
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गुरुवार, 22 जुलाई 2010
“मेरी पसन्द का गीत सुनिए” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
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बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया है. शास्त्री साहब आप उस रचना सहित किसी भी रचना, चित्र इत्यादि का कभी भी प्रयोग कर सकते हैं. आभारी रहूंगा.
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी की हकीकत है ये और स्वर भी कमाल का है……………सुनवाने के लिए आभार्।
जवाब देंहटाएंkamaal kar diya!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया है.आभार
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया है.आभार
जवाब देंहटाएंजीवन का सार समा गया है इसमें। शुक्रिया इस शानदार गीत के लिए।
जवाब देंहटाएं………….
अथातो सर्प जिज्ञासा।
संसार की सबसे सुंदर आँखें।
जीवन दर्शन के अनेकों रंगों
जवाब देंहटाएंको पर्भाषित करता हुआ
सुन्दर गीत ....
वाह !!
बेह्द सुन्दर गीत
जवाब देंहटाएं----
तख़लीक़-ए-नज़र
तकनीक-दृष्टा
चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें
The Vinay Prajapati
बहुत सुंदर गीत जी आवज भी बहुत ही सुंदर यही है जीवन का सार भी. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआप की रचना 23 जुलाई, शुक्रवार के चर्चा मंच के लिए ली जा रही है, कृप्या नीचे दिए लिंक पर आ कर अपने सुझाव देकर हमें प्रोत्साहित करें.
जवाब देंहटाएंhttp://charchamanch.blogspot.com
आभार
अनामिका
सुमधुर, कर्णप्रिय गीत! धन्यवाद
जवाब देंहटाएंलाजवाब!
जवाब देंहटाएंहिन्दी और उर्दू के शब्दों के मिश्रण से बहुत सुन्दर ध्वनि उत्पन्न हुई है इस गीत मे ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गीत प्रेरणा देता हुआ
जवाब देंहटाएंbadi aatmeeyta se kahte hai.aisa lagta hai kuchh khokar kamaye hain ye bhaav.
जवाब देंहटाएं