कल का लिखा हुआ और आज का गाया हुआ यह मुक्तक-बाल गीत! प्रस्तुत है- इसको अपना मधुर स्वर दिया है- अर्चना चावजी ने! मानसून का मौसम आया, तन से बहे पसीना! भरी हुई है उमस हवा में, जिसने सुख है छीना!! कुल्फी बहुत सुहाती हमको, भाती है ठण्डाई! दूध गरम ना अच्छा लगता, शीतल सुखद मलाई!! पंखा झलकर हाथ थके जब, हमने झूला झूला! ठण्डी-ठण्डी हवा लगी तब, मन खुशियों से फूला!! (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक") |
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मंगलवार, 20 जुलाई 2010
"बाल कविता मेरी : स्वर-अर्चना चावजी का"
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badhiya hai!
जवाब देंहटाएंbahut hi behtreen.............bahut khoob!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गीत।
जवाब देंहटाएंसुमधुर स्वर के साथ बहुत ही सुन्दर गीत्।
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत..!!
जवाब देंहटाएंBahut sundar
जवाब देंहटाएंसुन्दर बाल गीत ...!
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत.
जवाब देंहटाएंroopchnd ji mosm ki ums kaa vrnan bhut khub andaaz men kiya he . akhtar khan akela kota rajsthan
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गीत।
जवाब देंहटाएंशब्द और सुर का यह संगम बहुत भाया
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