समाजवाद से- कौन है अंजाना? लोगों ने भी यह जाना। समाजवाद आ गया है, क्या यह प्रयोग नया है? डाका, राहजनी, और चोरी, सुरसा के मुँह के समान- बढ़ रही है,रिश्वतखोरी। देख रहे हैं- गरीब और मजदूर, होता जा रहा है, चिकित्सा और न्याय- उनसे दूर। बढ़ता जा रहा है- भ्रष्टाचार, व्यभिचार और शोषण, नेतागण कर रहे हैं- अपना और अपने परिवार का पोषण। क्या समाजवाद- सबके हित की-आवाज है? क्या देश में दीन-दुखी, आम आदमी का राज है? पछता रहे हैं, गरीब और कमजोर, क्यों भेजा था उन्होंने संसद में- एक निकम्मा और चोर? आज केवल- नेता ही आबाद है, जनता आज भी बरबाद है। क्या यही समाजवाद है? यही लोकतंत्र है, हाँ यही समाजवाद है। |
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रविवार, 25 जुलाई 2010
“यही समाजवाद है…” (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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आज केवल-
जवाब देंहटाएंनेता ही आबाद है,
जनता आज भी बरबाद है।
जनता कब आबाद हुई है.
बेहतरीन रचना
सारे वाद कभी के मृत्यु को प्राप्त है,जनता उनकी लाशें ढो रही है, ये भुखे गीद्द उसको उन लाशों को नोच नोच पेट भर रहे है।
जवाब देंहटाएंसमाजवाद या समाज बाद ??
जवाब देंहटाएंजय हो, बड़े ढंग से धोयी हैं समाजवाद की कुरीतियाँ।
जवाब देंहटाएंआज केवल-
जवाब देंहटाएंनेता ही आबाद है,
जनता आज भी बरबाद है।
जी आज का यही समाजवाद है......
धन्यवाद इस सच्चाई से रुबरु करवाने के लिये
sahi chitran kiya hai bhaisahab...!!
जवाब देंहटाएंभारत के नेताओं के लिये तो यही समाजवाद है..
जवाब देंहटाएंनेता ही आबाद है,
जवाब देंहटाएंजनता आज भी बरबाद है
सही बात , कहने का ढंग अलग समाजवाद की नई परिभाषा आपने बताई ,बधाई
लाजवाब रचना……………सत्य दिखलाती हुयी।
जवाब देंहटाएंकल (26/7/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट देखियेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
य्स समाजवाद बस इन नेताओं के लिए ही है ... वैसे हर तरह का वाद नेताओं और अमीरों के लिए है ...
जवाब देंहटाएंहमारीवाणी का लोगो अपने ब्लाग पर लगाकर अपनी पोस्ट हमारीवाणी पर तुरंत प्रदर्शित करें
जवाब देंहटाएंहमारीवाणी एक निश्चित समय के अंतराल पर ब्लाग की फीड के द्वारा पुरानी पोस्ट का नवीनीकरण तथा नई पोस्ट प्रदर्शित करता रहता है. परन्तु इस प्रक्रिया में कुछ समय लग सकता है. हमारीवाणी में आपका ब्लाग शामिल है तो आप स्वयं हमारीवाणी पर अपनी ब्लागपोस्ट तुरन्त प्रदर्शित कर सकते हैं.
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badi sanjidgi se likha hai sir..!
जवाब देंहटाएंजी.... यही है समाजवाद... बहुत अच्छी रचना...
जवाब देंहटाएंGuru ji...
जवाब देंहटाएंSAB TV par MONDAY-THURSDAY 10 PM ek haasya serial aata hai, "LaapataGanj-Sharad Joshi ki Kahaniyon Ka Pata", abhi kuch hee din pehle SAMAJVAAD pe unhone kuch pradarshit kiya tha, aapka lekh padhne ke baad samajh aaya ki kitna sach tha.
आज के परिपेक्ष में लिखी सुन्दर रचना ..
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसही बात है, क्यों नहीं बुराइयों की भी एकरसता ! सही लिखा है आपने. आभार.
जवाब देंहटाएंकुछ लोगों का समाजवाद यही है ...!
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