मित्रों! आज कुछ लिखने का मन नहीं था! केवल सुनने का मन था! आप भी सुनिए मेरी पसन्द का यह गीत! इसको स्वर भर कर गाया है - श्री योगेश दत्त आर्य ने! (यह गीत मेरा लिखा हुआ नहीं है।) गीत के बोल हैं- "सारी सृष्टि दुल्हिन सी सजी है….” |
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इतना सुन्दर स्वर है
जवाब देंहटाएंदिल तक इसका असर है
bahut hi achchha sir
जवाब देंहटाएंarganikbhagyoday.blogspot.com
बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सस्वर गीत
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंयोगेश जी की आवाज का कमाल देखा। बहुत सुन्दर पोस्ट बधाई
जवाब देंहटाएंbadhiyaa hai ji
जवाब देंहटाएंजरूरी नहीं है कि रोज-रोज लिखा ही जाए
जवाब देंहटाएंकभी-कभी दूसरों को सुनना भी अच्छा लगता है.
आपने शानदार स्वर के मालिक से परिचय करवाया उसके लिए धन्यवाद.
Bahut hi pyara geet hai, shukriya.
जवाब देंहटाएंBahut hi pyara geet hai, shukriya.
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत...
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