(1) गौतम, गांधी, बोस की, हैं सच्ची तस्वीर। नन्हे सुमन जगायेंगे, भारत की तकदीर।। (2) बेरंग होने में सदा, आता है आनन्द। झंझावातो में भला, किसे सुहाते रंग।। (3) हँसने से कट जायंगे, सारे दिल के रोग। तन-मन को भोजन मिले, काया रहे निरोग।। (4) धन के स्वामी हो गये, अपने धन के दास। लोग पुरातन सभ्यता, का कर रहे विनाश।। (5) कैसे तुम्हें भुलाउँगा,ओ मेरे मनमीत। प्रतिदिन तेरी याद में, मैं लिखता हूँ गीत।। (6) भोले पक्षी छिप गये, खुले घूमते बाज़। पढ़े-लिखे नौकर हुए, आया जंगल राज।। (7) गुलशन माली का रहा, युगों-युगों से संग। बिन माली के वाटिका, हो जाती बेरंग।। |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
बुधवार, 11 अगस्त 2010
“दोहावली” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि &qu...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
हँसने से कट जायंगे, सारे दिल के रोग।
जवाब देंहटाएंतन-मन को भोजन मिले, काया रहे निरोग।।
बिल्कुल सही कहा है आपने! सभी दोहें एक से बढ़कर एक है! शानदार पोस्ट!
शास्त्रीजी, सारे ही दोहे श्रेष्ठ बन पड़े हैं बधाई।
जवाब देंहटाएंsabhi achey hain lekin mujhe ye sab se acha laga..
जवाब देंहटाएंभोले पक्षी छिप गये, खुले घूमते बाज़।
पढ़े-लिखे नौकर हुए, आया जंगल राज।।
कैसे तुम्हें भुलाउँगा,ओ मेरे मनमीत।
जवाब देंहटाएंप्रतिदिन तेरी याद में, मैं लिखता हूँ गीत।।
...tabhi itni mithaas hai... :)
sabhi dohe kamal ke hai!
aapke har dohe kabiletaarif hain..jitani prashashaa ki jaaye kam hogi.
जवाब देंहटाएंसारे ही दोहे लाजवाब्…………………एक से बढकर एक हैं………………और ये काबिलियत सिर्फ़ आपमे ही है।
जवाब देंहटाएंभोले पक्षी छिप गये, खुले घूमते बाज़।
जवाब देंहटाएंपढ़े-लिखे नौकर हुए, आया जंगल राज।।
वाह, बहुत खूब शास्त्री जी !
श्रेष्ठतम, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
धन के स्वामी हो गये, अपने धन के दास।
जवाब देंहटाएंलोग पुरातन सभ्यता, का कर रहे विनाश।।
भोले पक्षी छिप गये, खुले घूमते बाज़।
पढ़े-लिखे नौकर हुए, आया जंगल राज।।
वाह लाजवाब दोहे हैं बधाई।
बहुत सुंदर दोहे लगे जी, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंक़ाबिले-तारीफ़ है।
जवाब देंहटाएंहँसने से कट जायंगे, सारे दिल के रोग।
जवाब देंहटाएंतन-मन को भोजन मिले, काया रहे निरोग।।
Sahi siksha...sundar dohe
Aabhar
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबड़ी सुन्दर सुन्दर लड़ियाँ पिरो लायें हैं आप।
जवाब देंहटाएंbahut umda dohe hai ..!!
जवाब देंहटाएं