अब जला लो मशालें, गली-गाँव में, रोशनी पास खुद, चलके आती नही। राह कितनी भले ही सरल हो मगर, मंजिलें पास खुद, चलके आती नही।। लक्ष्य छोटा हो, या हो बड़ा ही जटिल, चाहे राही हो सीधा, या हो कुछ कुटिल, चलना होगा स्वयं ही बढ़ा कर कदम- साधना पास खुद, चलके आती नही।। दो कदम तुम चलो, दो कदम वो चले, दूर हो जायेंगे, एक दिन फासले, स्वप्न बुनने से चलता नही काम है- जिन्दगी पास खुद, चलके आती नही।। ख्वाब जन्नत के, नाहक सजाता है क्यों, ढोल मनमाने , नाहक बजाता है क्यों , चाह मिलती हैं, मर जाने के बाद ही- बन्दगी पास खुद, चलके आती नही।। |
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रविवार, 1 अगस्त 2010
“… खुद चलके आती नही” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
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atyant aakarshak.
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंसकारात्मक सन्देश देती सुन्दर रचना ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंमित्र दिवस की शुभकामनाये ....
बेहद उम्दा रचना !
जवाब देंहटाएंसुन्दर संदेश देती बेहतरीन रचना।
जवाब देंहटाएंदो कदम तुम चलो, दो कदम वो चले,
जवाब देंहटाएंदूर हो जायेंगे, एक दिन फासले,
यह जज़्बा हो तो फासला हो ही क्यों
सुन्दर
बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना के लिए बहुत बहुत बधाई |
जवाब देंहटाएंआशा
बिल्कुल अपठनीय और गद्यमय होते जा रहे काव्य परिदृश्य पर शास्त्री जी की यह कविता इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि वे कविता की मूलभूत विशेषताओं को प्रयोग के नाम पर छोड़ नहीं देते। उनकी बेहद संश्लिष्ट इस कविता में उपस्थित लयात्मकता इसे दीर्घ जीवन प्रदान करती है। कविता का पूरा स्वर आशामूलक है। यह आशा वायवीय नहीं बल्कि ठोस ज़मीन पर पैर टिके रहने के कारण है।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंसकरात्मक सोच देती हुई सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएं02.08.10 की चिट्ठा चर्चा में शामिल करने के लिए इसका लिंक लिया है।
जवाब देंहटाएंhttp://chitthacharcha.blogspot.com/
बहुत उम्दा!
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी ज्ञान बढ़ाने वाली, सुंदर उपदेशक बातें..मनुष्य को कुछ पाने के लिए पर्याप्त परिश्रम करना पड़ता है साथ ही साथ शुद्ध विचार भी रखने होते है...कविता के माध्यम से बहुत सुंदर बात कही आपने...बधाई
जवाब देंहटाएंजीवन का उलझा देने वाला दर्शन सरल शब्दों में।
जवाब देंहटाएंएक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं !
जिंदगी खुद चल के पास आती नहीं ...
जवाब देंहटाएंक्या बात है ...!
as usal..so nice!
जवाब देंहटाएं