आज समय का, कुटिल - चक्र चल निकला है। संस्कार का दुनिया भर में, दर्जा सबसे निचला है।। नैतिकता के स्वर की लहरी मंद हो गयी। इसीलिए नूतन पीढ़ी, स्वच्छन्द हो गयी।। अपनी गलती को कोई स्वीकार नही करता है। अपने दोष, सदा औरों के माथे पर धरता है।। सबके अपने नियम और सबका अन्दाज निराला है। बिके हुए हर नेता के मुँह पर तो लटका ताला है।। पत्रकार का मतलब था, निष्पक्ष और विद्वान-सुभट। नये जमाने में इसकी, परिभाषाएँ सब गई पलट।। नटवर लाल मीडिया पर, छा रहे बलात् बाहुबल से। गाँव शहर का छँटा हुआ, अब जुड़ा हुआ है चैनल से।। गन्दे नालों और नदियों की, बहती है अविरल धारा। नहाने वाले पर निर्भर है, उसको क्या लगता प्यारा?? |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
शनिवार, 28 अगस्त 2010
“आज का समय” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि ...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
नैतिकता के स्वर की लहरी मंद हो गयी।
जवाब देंहटाएंइसीलिए नूतन पीढ़ी, स्वच्छन्द हो गयी।।
puraani peedhi sab chhup kar kartee thee aur apnae bachho kae saamney achchi banee rehtee thee !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
अरे रचना बिटिया क्यों अपने सगे सम्बन्धियों पर लांछन लगा रही हो?
जवाब देंहटाएंसही भाव फ़रमाए है, आपने
जवाब देंहटाएंआज समय का, कुटिल - चक्र चल निकला है।
संस्कार का दुनिया भर में, दर्जा सबसे निचला है।।
नैतिकता के स्वर की लहरी मंद हो गयी।
इसीलिए नूतन पीढ़ी, स्वच्छन्द हो गयी।।
कल इस स्वच्छन्दता देने के लिये भी पुरखों को कटघरे में खडा किया जायेगा।
बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
जवाब देंहटाएंwaah..too gud!
जवाब देंहटाएंनई पीढ़ी की नैतिकता और संस्कार के बारे में आपकी चिंता अपनी जगह बिलकुल ठीक है. यही चिंता गुप्त जी की रचना भारत-भारती का आधार थी.
जवाब देंहटाएंनटवर लाल मीडिया पर, छा रहे बलात् बाहुबल से।
जवाब देंहटाएंवाह!
क्या बात है।
आपकी पोस्ट रविवार २९ -०८ -२०१० को चर्चा मंच पर है ....वहाँ आपका स्वागत है ..
जवाब देंहटाएंhttp://charchamanch.blogspot.com/
नई पीढ़ी की चिंता करना जायज है ...पुरानी को ...अब तो पुरानी के साथ नई की चिंता करना भी छोड़ दिया है नई ने ...
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी ,
जवाब देंहटाएंआप बहुत अच्छा लिखते है ,"गंदे नालों और -------
उसको क्या लगता प्यारा "
बहुत सही आकलन किया है |बधाई
आशा
अरे रचना बिटिया क्यों अपने सगे सम्बन्धियों पर लांछन लगा रही हो?
जवाब देंहटाएंaap apne baccho ko laanchhit kar rahey haen
aur
mae aap ki ham umr hun so bitiya keh kar maera saman darja naa ghayae yae aagrh haen
@ रचना
जवाब देंहटाएंमैं अपनी रचनाएँ स्वान्तःसुखाय लिखता हूँ! आपको पसंद नही हैं तो मत आइए मेरे ब्लॉग पर!
--
अपना प्रोफाइल ऐसा बनाइए जिससे कि आपके बारे में मुझे सही जानकारी मिल सके!
--
मेरे ब्लॉग पर पूरा योगदान मेरा है! आपको पसंद नही हैं तो दूसरे ब्लॉग अपनी पसन्द के चयनित कर लें!
--
आपने लिखा है कि मैं आपकी उम्र की हूँ! चलो मान लेते हैं!
आज समय का, कुटिल - चक्र चल निकला है।
जवाब देंहटाएंसंस्कार का दुनिया भर में, दर्जा सबसे निचला है।।
बिलकुल सही कहा...... अच्छी रचना.....
आज जो समाज में व्याप्त है उस पर सधी हुई लेखनी चली है ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
कविह्रदय की दुविधा यही है कि विवश होता है पर चुप नहीं. सुंदर.
जवाब देंहटाएंNude Celebrities Porn, Naked Celeb Videos, Free Celebrity Pictures, Naked Pics, Scandalous Sextapes. [url=http://flamearticles.info/seeking-out-for-a-nude-model-for-your-shoot.html]flamearticles.info/seeking-out-for-a-nude-model-for-your-shoot[/url]
जवाब देंहटाएं