♥ एक क्षणिका ♥ बीती यादों के रंग! बढ़ती उमंर के संग! बहुत ही याद आते हैं! -- कभी-कभी इस अतीत पर हम खुद ही रीझ जाते हैं!! |
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bahut khoob...
जवाब देंहटाएंएक शेर याद आ रहा है शास्त्री जी ;
जवाब देंहटाएंहसकर जीना ही दस्तूर है ज़िंदगी का !
एक यही किस्सा मशहूर है ज़िंदगी का !
बीते हुए पल कभी लौट कर नहीं आते,
यही तो सबसे बड़ा कसूर है ज़िंदगी का...!
वाह वाह क्या बात है! सुन्दर सी छोटी सी रचना और मुझे तो आपका चित्र लाजवाब लगा!
जवाब देंहटाएंkya baat hai
जवाब देंहटाएंहम तो आपकी इस अदा पर रीझ जाते है .............बहुत खूब, शास्त्री जी!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना... दिल को छू गई...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना..!!
जवाब देंहटाएंवाह ..याद भी बढ़िया और चित्र भी ...
जवाब देंहटाएंअतीत पर बहुत अच्छी क्षणिका |बधाई
जवाब देंहटाएंआशा
बचपन किसे प्यारा नहीं होता है।
जवाब देंहटाएंआप की रचना बहुत सुंदर है इस सुंदर बच्चे की तरह से, लेकिन बच्चा कुछ शरारती लगता है:)
जवाब देंहटाएंमयंक जी, आपकी इस अदा पर कौन न रीझ जाए।
जवाब देंहटाएं…………..
अद्भुत रहस्य: स्टोनहेंज।
चेल्सी की शादी में गिरिजेश भाई के न पहुँच पाने का दु:ख..।
वाह वाह ………………आज तो कमाल कर दिया……………।प्रेम रस छलक रहा है।
जवाब देंहटाएंये गोल मटोल प्यारा सा नन्हा मुन्ना कहीं देखा हुआ सा लग रहा है?:)
जवाब देंहटाएंरामराम
hahahahah
जवाब देंहटाएंsahi hai
सर फोटो बड़ी लेटेस्ट लग रही है ,हा हा हा
जवाब देंहटाएंसर फोटो बड़ी लेटेस्ट लग रही है ,हा हा हा
जवाब देंहटाएंसर फोटो बड़ी लेटेस्ट लग रही है ,हा हा हा
जवाब देंहटाएंpyari si kshanika.
जवाब देंहटाएंsunder kshanika
जवाब देंहटाएंchoti magar amulya
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