वफा और प्यार की बातें, किसे अच्छी नहीं लगतीं। तपन के बाद बरसातें, किसे अच्छी नहीं लगतीं। मिलन होता जहाँ बिछड़ी हुई, कुछ आत्माओं का, सुहानी चाँदनी रातें, किसे अच्छी नहीं लगतीं।। ---000--- गुलो-गुलशन की बरबादी, हमें अच्छी नहीं लगती। वतन की बढ़ती आबादी, हमें अच्छी नहीं लगती। जुल्म का सामना करने को, जिसको ढाल माना था- सितम करती वही खादी, हमें अच्छी नहीं लगती।। ---000--- |
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रविवार, 22 अगस्त 2010
“… ..अच्छी नहीं लगती!” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
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"जुल्म का सामना करने को, जिसको ढाल माना था-
जवाब देंहटाएंसितम करती वही खादी, हमें अच्छी नहीं लगती।।"
सत्य वचन महाराज !
वफा और प्यार की बातें, किसे अच्छी नहीं लगतीं।
जवाब देंहटाएंतपन के बाद बरसातें, किसे अच्छी नहीं लगतीं।
मिलन होता जहाँ बिछड़ी हुई, कुछ आत्माओं का,
सुहानी चाँदनी रातें, किसे अच्छी नहीं लगतीं।।
आज तो गज़ब कर दिया……………क्या भाव भर दिये हैं…………हम तो इन्ही मे डूब गये हैं………………आज के अन्दाज़ पर तो क्या कहें………………सिर्फ़ यही……………॥बेहतरीन, लाजवाब,शानदार्।
आप की सुंदर सुंदर कविताये , किसे अच्छी नही लगती,
जवाब देंहटाएंअजी सभी का मन मोह लेती है, बहुत सुंदर. धन्यवाद
आपसे हम शत प्रतिशत सहमत हैं।
जवाब देंहटाएंदोनों ही क्षणिकाये एक से बढ़ कर एक है.
जवाब देंहटाएंकोई प्यार मुहोब्बत को जान देता है तो
कोई गुलो-गुलशन की बर्बादी पे रोता है.
कितना फर्क है ना सिविल पुलिस और फौजी लाईफ में.
सशक्त रचना.
अपनी पोस्ट के प्रति मेरे भावों का समन्वय
जवाब देंहटाएंकल (23/8/2010) के चर्चा मंच पर देखियेगा
और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
वाह! शास्त्री जी! बहुत सुन्दर और शानदार रचना लिखा है आपने! सच्चाई को व्यक्त करते हुए बेहतरीन प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंवाह-वाह शास्त्री जी, बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंजुल्म का सामना करने को, जिसको ढाल माना था-
जवाब देंहटाएंसितम करती वही खादी, हमें अच्छी नहीं लगती।।
....बहुत सुन्दर और सशक्त कविता...बधाई.
आपकी रचनाएं हमेशा ही सशक्त और रचनात्मक संदेश लिये हुये होती हैं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सुंदर सार्थक और सटीक निशाने वाली रचना ।
जवाब देंहटाएंदोनों मुक्तक लाजवाब हैं ..बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंdono muktakon ka andaj juda hai az .bahut hi sundar.
जवाब देंहटाएंदोनों ही क्षणिकाये बहुत सुंदर |
जवाब देंहटाएंलाजवाब मुक्तक!
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंआपकी रचनाएँ अपने आप में सम्पूर्ण होती हैं...
काव्य, भाव, प्रवाह और सन्देश, सभी का सुखद समिश्रण...
बहुत अच्छा लगा, आपका कुछ बातों का अच्छा लगना और कुछ बातों का अच्छा नहीं लगना ...:):)
धन्यवाद..!!
बहुत सुन्दर लिखा है शास्त्री जी आपने. अंतिम लाइन तो दिल को छू गई.
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