गूँज रही है मन-उपवन में कोयलिया की बोली। वासन्ती सपनों को लेकर फिर से आई होली।। रंग-बिरंगे कुसुम खिले हैं, बगिया और चमन में, अँगारे जैसे दहके हैं, टेसू फिर से वन में, मन्द-सुगन्ध पवन ने, तन में मादकता सी घोली। वासन्ती सपनों को लेकर फिर से आई होली।। रंग, अबीर-गुलाल, शान से हँसते-मुस्काते हैं, लोग-लुगाई प्रणयगीत खुश हो करके गाते हैं, अपनी धुन में बौराए से थिरक रहे हमजोली। वासन्ती सपनों को लेकर फिर से आई होली।। मन में दबी हुई गाँठों के गठबन्धन को खोलें, प्रेम-प्रीत के रंगों से सब गिले-शिकायत धो लें, अपनेपन के अरमानों से भर जाएगी झोली। वासन्ती सपनों को लेकर फिर से आई होली।। सबके घर-आँगन में फिर से बौझारें बरसेंगी, बच्चों के हाथों में फिर से पिचकारी सरसेंगी, देवर और भाभी में जमकर होगी हँसी-ठिठोली। वासन्ती सपनों को लेकर फिर से आई होली।। क्रूर होलिका होली की लपटों में जल जाएगी, प्रिय प्रह्लाद की अशुभ घड़ी भी फिर से टल जाएगी, झूम-झूमकर फिर से गलियों में निकलेंगी टोली। वासन्ती सपनों को लेकर फिर से आई होली।। |
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शुक्रवार, 4 मार्च 2011
"फिर से आई होली" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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झूम-झूमकर फिर से गलियों में निकलेंगी टोली।वासन्ती सपनों को लेकर फिर से आई होली।।
जवाब देंहटाएंहोली का स्वागत है आपको भी होली की हार्दिक बधाई
holi ke tyohar ki bahut hi sunder rachna hai
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना ... आपको होली बहुत बहुत मुबारक हो शास्त्री जी ...
जवाब देंहटाएंsunder rachana, aapke blog ko yahan bhi saraha gaya hai is link ko dekhiye " kuch acche blog - meri najar se "
जवाब देंहटाएंhttp://eksacchai.blogspot.com per
होलिका दहन और होली के आने वाले त्यौहार का प्रारम्भ कर दिया है आपने अपनी रचना के साथ |
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावपूर्ण रचना |बधाई
आशा
होली में आपकी रचना बेमिसाल है... इसमें तो होली के हर रंग है... होलिका दहन से ले कर प्रणय रंग.. टेसू ..सब... होली के स्वागत गीत के साथ आपको होली पर अग्रिम शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंहोलिका के सुन्दर चित्र के साथ ही होली का आह्वान.
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ...
रंग-बिरंगे कुसुम खिले हैं, बगिया और चमन में,
जवाब देंहटाएंअँगारे जैसे दहके हैं, टेसू फिर से वन में,
मन्द-सुगन्ध पवन ने, तन में मादकता सी घोली।
वासन्ती सपनों को लेकर फिर से आई होली।।
होली का स्वागत ...बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
मर्मस्पर्शी एवं भावपूर्ण काव्यपंक्तियों के लिए कोटिश: बधाई !
आपको सपरिवार होली पर अग्रिम वासन्ती शुभकामनायें..
झूम-झूमकर फिर से गलियों में निकलेंगी टोली।
जवाब देंहटाएंवासन्ती सपनों को लेकर फिर से आई होली।
होली के स्वागत में बहुत सुन्दर रंगों से परिपूर्ण गीत ...होली की हार्दिक बधाई..
झूम-झूमकर फिर से गलियों में निकलेंगी टोली।
जवाब देंहटाएंवासन्ती सपनों को लेकर फिर से आई होली।
होली के स्वागत में बहुत सुन्दर रंगों से परिपूर्ण गीत ...होली की हार्दिक बधाई..
होली सी रंगबिरंगी कविता।
जवाब देंहटाएंडॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" जी,
जवाब देंहटाएंहोली का सुंदर स्वागत गीत....
"फिर से आई होली"....
मन में दबी हुई गाँठों के गठबन्धन को खोलें, प्रेम-प्रीत रंगों से सब गिले-शिकायत धो लें, अपनेपन के अरमानों से भर जाएगी झोली। वासन्ती सपनों को लेकर फिर से आई होली।।
बहुत सुंदर रचना !
बढ़िया प्रस्तुति पर ....होली की हार्दिक बधाई.
वाह ...बहुत ही सुन्दर भावमय करते शब्द इस रचना के ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर रचना, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम
होली आनेवाली है! ख़ुशियाँ लानेवाली है!
जवाब देंहटाएं278—02-11
जवाब देंहटाएंहर दिन,हर शख्श,हर मजहब, दिल से होली मनाए
होली आती
सवाल मन में पैदा करती
क्यों पेड़ों की कटाई होती
क्यों डालियाँ जलाई जाती
निरंतर बाँझ हो रही धरती
की क्यों हंसी उडाई जाती
प्यार भाई चारे की मिसाल
मानी जाती
मगर रंगों में मिलावट होती
जबरदस्ती चन्दा उगाही
की जाती
ज़िन्दगी बदरंग पर
होली रंगों से खेली जाती
भांग ,शराब खूब चढ़ाई जाती
नशे को तरजीह दी जाती
नहीं खेले तो,
जबरदस्ती खिलाई जाती
खूब मार पिटाई होती
दीवारें गंदी करी जाती
अश्लीलत़ा खुल कर दिखाई जाती
क्यों ना रीत बदल दें
बिना पेड़ काटे होली जलाएँ
निरंतर रंग जीवन में भर दें
ना दीवारें गंदी हों
ना ज़बरदस्ती हो
होली की कोई तिथी तारीख ना हो
हर दिन,हर शख्श,हर मजहब
दिल से होली मनाए
नए रंगों से उसे सजाएँ
19-02-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
{आपकी होली पर सुन्दर प्रस्तुती के जवाब में एक तुच्छ भेंट}