आँचल में प्यार लेकर, भीनी फुहार लेकर. आई होली, आई होली, आई होली रे! चटक रही सेंमल की फलियाँ, चलती मस्त बयारें। मटक रही हैं मन की गलियाँ, बजते ढोल नगारे। निर्मल रसधार लेकर, फूलों के हार लेकर, आई होली, आई होली, आई होली रे! मीठे सुर में बोल रही है, बागों में कोयलिया। कानों में रस घोल रही है, कान्हा की बाँसुरिया। रंगों की धार लेकर, सुन्दर शृंगार लेकर, आई होली, आई होली, आई होली रे! लहराती खेतों में फसलें, तन-मन है लहराया. वासन्ती परिधान पहनकर, खिलता फागुन आया, महकी मनुहार लेकर, गुझिया उपहार लेकर, आई होली, आई होली, आई होली रे! |
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रविवार, 13 मार्च 2011
"आई होली रे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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आपकी रचनाएँ पढ़ कर होली मय हो रहे हैं ...खूबसूरत सन्देश
जवाब देंहटाएंहोली आयी रे।
जवाब देंहटाएंsunder geet
जवाब देंहटाएंholi ki hardik bdhaai
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंहोली की मंगलकामनाएं ...
जवाब देंहटाएंआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (14-3-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
बेहतरीन रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
होली आई रे !! .. बहुत सुंदर रचना ... अप्पको होली की ढेरों शुभकामनाएं ...
जवाब देंहटाएंSundar holi geet !
जवाब देंहटाएंvery nice keep it up, visit my blog plz
जवाब देंहटाएंDownload latest music
Lyrics mantra
holi ki masti me dubo diya aapki is rachna ne.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना ...बधाई .. होली आई रे ...
जवाब देंहटाएंआपने तो होली को साक्षात कर दिया.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना ,,,,
जवाब देंहटाएंहोली आई रे....
जवाब देंहटाएंसुन्दर और भावपूर्ण रचना...
Hardik shubhkamnayen.
जवाब देंहटाएं---------
पैरों तले जमीन खिसक जाए!
क्या इससे मर्दानगी कम हो जाती है ?
होली के रंगों-सी रंग-बिरंगी रचना....
जवाब देंहटाएं