इस पार हमारा भारत है उस पार बसा नेपाल देश।
जलधारा नदी शारदा की, मध्यस्थ बन रही है विशेष।।
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सफर सुहाना मस्त नजारे।
जवाब देंहटाएंचित्र बहुत हैं प्यारे - प्यारे।
बचपन में गए थे नेपाल कुछ याद नहीं था पर यह शारदा पर पुल देख याद आ गया.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चित्र हैं और उनपर पंक्तियाँ भी बहुत सुन्दर.आभार.
बड़े ही सुन्दर चित्र।
जवाब देंहटाएंbhart aur nepal ki ati sundar yah sair ,man aanand kee nadi me khoob raha hai tair -bahut achchhi prastuti .
जवाब देंहटाएंआद. शास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंकुछ यादों की मीठी परतें,कुछ भूले बिसरे वो सपने !
वो 'भवन पुराना' सींच गया मुरझाये पल जो थे अपने !
अच्छा लगा, आपके साथ आपका वो घर को देखकर जिसे आपने स्वयं बनवाया था और ज़िन्दगी के ८ साल उसमें बिताए ! नेपाल सीमा की यात्रा करवाने के लिए शुक्रिया !
बहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएंसुंदर चित्रों सहित मनमोहक कविता.
जवाब देंहटाएंरामराम
जब हम आयेगे आप के शहर मे तो यहां जरुर जायेगे, इन सुंदर चित्र के लिये आप का धन्यवाद
जवाब देंहटाएंकहने का अंदाज़ निराला,
जवाब देंहटाएंसचमुच है यह सफर सुहाना!
जो भी सफर करेगा ऐसे,
हो जाएगा वो मस्ताना!
जल्दी ही आ रहा हूं यात्रा पर..
जवाब देंहटाएंमनोरम!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर ......शुक्रिया.......
जवाब देंहटाएंमनोरम दृश्य .
जवाब देंहटाएंमैं 1987 में LIC की खटीमा शाखा का आडिट करने गया था तब ये सब देखा था.चित्र देख कर यादें ताज़ा हो गईं.आभार.
सुंदर चित्रों सहित मनमोहक कविता.
जवाब देंहटाएंहम आयेगे आप के शहर मे **********
ये तो बहुत बढिया सैर करा दी……………बहुत सुन्दर चित्रमय प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चित्रों से भी सुन्दर काव्यधारा शास्त्री जी आपकी बधाई !
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