मित्रों! कल की ही बात है हास्य-व्यंग्य के सशक्त हस्ताक्षर मेरे कविमित्र गेंदालाल शर्मा निर्जन के ज्येष्ठ पुत्र दिग्विजय भारद्वाज का स्थानीय अस्पताल में निधन हो गया। भले ही लोगों को कुछ देर से सूचना मिली हो मगर सम्वेदनहीनता तो देखिए कि एक भी भलामानस उनके इस दारुणदुःख में शामिल नहीं हुआ। शाम के 5 बजे थे। मैं अपने एक शायर मित्र गुरूसहाय भटनागर को साथ लेकर उनके निवास पर गया तो मैंने देखा कि गेंदालाल शर्मा की पत्नी अकेली ही अपने पुत्र की मृतदेह के पास बैठी हुई विलाप कर रही थी। बाहर शर्मा जी के छोटे भाई सुरेन्द्र शर्मा मधुर खड़े थे। गेंदालाल जी तो बदहवाश और किंकर्तव्यविमूढ़ थे। हो भी क्यों नहीं, जिसके 28 वर्षीय पुत्र का उनके सामने ही निधन हो गया हो, उसकी मनःस्थिति का अन्दाज़ा तो एक पिता ही लगा सकता है। इससे भी बदतर स्थिति तो उस समय सामने आयी जब शमशान में स्थित बाबा ने शव की अन्येष्टि के लिए जबरन 1100रुपये वसूल करके ही अन्तिम संस्कार करने दिया। मैं गेन्दालाल शर्मा जी के पुत्र को अपनी हार्दिक श्रद्धांजलि समर्पित करता हूँ। परमपिता परमात्मा दुखित परिवार को इस वज्र दुःख को सहन करने की शक्ति दें। |
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रविवार, 6 जनवरी 2013
“दम तोड़ती मानवता” (विनम्र श्रद्धांजलि)
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यह होता क्या जा रहा है हमको क्यों हम मानवता भूलकर अपने तक ही सिमटते जा रहें है !!
जवाब देंहटाएंभगवान उस पवित्र आत्मा को शांति प्रदान करें । इंशानियत को शर्मशार करने वाली इस कृति की मैं निंदा करता हूँ ।
जवाब देंहटाएंदुखद वृत्तान्त है। दिवंगत आत्मा को शांति मिले और गेंदलाल जी व परिजनों को यह आघात सहने की शक्ति और मित्रों का सहारा मिले।
जवाब देंहटाएंविनम्र श्रद्धांजलि, मानवता ढल चली है अब।
जवाब देंहटाएंसबसे बड़ा दुःख |
जवाब देंहटाएंभगवान् दिवंगत की आत्मा को शान्ति प्रदान करे |
परिवार यह दुःख सह सके-
हे प्रभु ||
कहाँ है संवेदना .....सांत्वना देके चले आते हैं हम
जवाब देंहटाएंईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें
व उनके परिवार को इस असह्य
दुःख को सहने की शक्ति प्रदान करे
RIP,अफ़सोस !
जवाब देंहटाएंयह तो घोर असामाजिकता है। भगवान उन्हें इस दारूण दुख को सहन करने की क्षमता प्रदान करें।
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