जिनके मिलने से मिले, मन को खुशी अपार।
ऐसे सज्जनवृंद तो, मिलने अब दुश्वार।१।
अन्धकूप में खोजते, रत्नों को हम आज।
बिना पारखी दृष्टि के, अन्धा हुआ समाज।२।
नजर नजर का फेर है, नजर नजर की बात।
जिसकी नजर सुधर गई, मिली उसे सौगात।३।
शिक्षक व्यापारी बने, गुरू हो गये मौन।
कर देकर शिक्षा मिली, हुई दीक्षा गौण।४।
ज्ञान और विज्ञान की, हुई धार अब मन्द।
पाणिनि की व्याकरण के, पृष्ठ हो गये बन्द।५।
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बुधवार, 15 मई 2013
"पीड़ा के पाँच दोहे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सटीक बात कहते सुंदर दोहे
जवाब देंहटाएंसुन्दर और सटीक दोहे !!
जवाब देंहटाएंजिनके मिलने से मिले, मन को खुशी अपार।
जवाब देंहटाएंऐसे सज्जनवृंद तो, मिलने अब दुश्वार।१
हर दोहा गहरी मार करता हुआ साथ मे दिल के दर्द को भी उजागर कर गया
क्या बात है गुरु जी ?
जवाब देंहटाएंआपका जवाब नहीं
हमारे लिए तो आप ही गुरु हो
आप हीरा हो तो हम भी अच्छे पारखी हैं
सुन्दर और सटीक दोहे !...
जवाब देंहटाएंsateek
जवाब देंहटाएंसत बताते दोहे..
जवाब देंहटाएंसभी दोहे सटीक
जवाब देंहटाएंसभी दोहे सार्थक और सटीक संदेश देते हैं,आभार आदरणीय.
जवाब देंहटाएंसुन्दर और सटीक दोहे !
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह बहुत सुंदर दोहे हैं।
जवाब देंहटाएंसच को दर्शाते बढ़िया दोहे सर!
जवाब देंहटाएं~सादर!!!
सुंदर और सामयिक!
जवाब देंहटाएंबहुत श्रेष्ठ दोहे।
जवाब देंहटाएं