| ♥ एक क्षणिका ♥ बीती यादों के रंग! बढ़ती उमंर के संग! बहुत ही याद आते हैं! -- कभी-कभी इस अतीत पर हम खुद ही रीझ जाते हैं!! |
| "उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
लोकप्रिय पोस्ट
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि ...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
bahut khoob...
जवाब देंहटाएंएक शेर याद आ रहा है शास्त्री जी ;
जवाब देंहटाएंहसकर जीना ही दस्तूर है ज़िंदगी का !
एक यही किस्सा मशहूर है ज़िंदगी का !
बीते हुए पल कभी लौट कर नहीं आते,
यही तो सबसे बड़ा कसूर है ज़िंदगी का...!
वाह वाह क्या बात है! सुन्दर सी छोटी सी रचना और मुझे तो आपका चित्र लाजवाब लगा!
जवाब देंहटाएंkya baat hai
जवाब देंहटाएंहम तो आपकी इस अदा पर रीझ जाते है .............बहुत खूब, शास्त्री जी!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना... दिल को छू गई...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना..!!
जवाब देंहटाएंवाह ..याद भी बढ़िया और चित्र भी ...
जवाब देंहटाएंअतीत पर बहुत अच्छी क्षणिका |बधाई
जवाब देंहटाएंआशा
बचपन किसे प्यारा नहीं होता है।
जवाब देंहटाएंआप की रचना बहुत सुंदर है इस सुंदर बच्चे की तरह से, लेकिन बच्चा कुछ शरारती लगता है:)
जवाब देंहटाएंमयंक जी, आपकी इस अदा पर कौन न रीझ जाए।
जवाब देंहटाएं…………..
अद्भुत रहस्य: स्टोनहेंज।
चेल्सी की शादी में गिरिजेश भाई के न पहुँच पाने का दु:ख..।
वाह वाह ………………आज तो कमाल कर दिया……………।प्रेम रस छलक रहा है।
जवाब देंहटाएंये गोल मटोल प्यारा सा नन्हा मुन्ना कहीं देखा हुआ सा लग रहा है?:)
जवाब देंहटाएंरामराम
hahahahah
जवाब देंहटाएंsahi hai
सर फोटो बड़ी लेटेस्ट लग रही है ,हा हा हा
जवाब देंहटाएंसर फोटो बड़ी लेटेस्ट लग रही है ,हा हा हा
जवाब देंहटाएंसर फोटो बड़ी लेटेस्ट लग रही है ,हा हा हा
जवाब देंहटाएंpyari si kshanika.
जवाब देंहटाएंsunder kshanika
जवाब देंहटाएंchoti magar amulya
जवाब देंहटाएं