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अमरुद देखकर तो मुँह में पानी आ गया! पर्थ में तो नहीं मिलेगा इसलिए तस्वीर देखकर ही मन भरना होगा! बहुत सुन्दरता से आपने अमरुद के गुणों के बारे में लिखा है और मुझे तो अमरुद बेहद पसंद है खासकर पका हुआ लाल लाल सा!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर कविता………अमरूद के सारे गुण लिख दिये।
जवाब देंहटाएंसच में मुँह में पानी आ गया.... अब तो अमरुद का सीज़न भी आ रहा है.... वैसे मेरे पास अमरुद के २० पेड़ हैं.... गोरखपुर में... हर साल पेड़ों को धुलवा कर पूरे जतन से अमरुद के फलों को रखाते हैं... बहुत अच्छी लगी आपकी यह पोस्ट...
जवाब देंहटाएंजितने मीठे आम, उतनी सुन्दर कविता।
जवाब देंहटाएंमुँह मे स्वाद आ गया ।
जवाब देंहटाएंवाह आज तो लगता है अमरूद तोदने ही पडेंगे, हमारे यहां बःई लगे हैं. आपका तो कविता लिखने में कोई सानी ही नही है.
जवाब देंहटाएंरामराम
भूल सुधार :०
जवाब देंहटाएंबःई = भी
पढें.ाम
रामर
आह अमरुद ....मुंह में पानी आ गया ..
जवाब देंहटाएंयहाँ दुनिया की हर चीज़ मिलती है ..बस अमरुद नहीं मिलते :(
अब तो खाने का मन हो रहा है, सुन्दर प्रस्तुति रही, बधाई ।
जवाब देंहटाएंस्वस्थ रहने के लिए,
जवाब देंहटाएंखाना इसे वरदान है।
नाम का अमरूद है,
लेकिन गुणों की खान है।
वाह शास्त्री जी। क्या बात है!
ज़बर्दस्त क्वालिटी के अमरूदों का चित्र लगाया है आपने।
अमरुद देखकर तो मुँह में पानी आ गया! अब जल्दी सॆ एक टोकरी अमरुद भिजवा दो, बहुत साल हो गये अमरुद खाये हुये.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
अच्छी कविता, अच्छे चित्र।
जवाब देंहटाएंअमरुद महिमा पढ़ खाने को जी ललचा गया.
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