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रविवार, 13 फ़रवरी 2011
"14 फरवरी-14 दोहे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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bahut achchi lagi.
जवाब देंहटाएंचहक रहे हैं बाग में, कलियाँ-सुमन अनेक।
जवाब देंहटाएंधीरज और विवेक से, चुनना केवल एक।२।
प्रेरक उत्तम दोहे !
बेटी-बेटे में करो, समता का व्यवहार।
जवाब देंहटाएंबेटी ही संसार की, होती सिरजनहार।११।
बहुत सुंदर दोहे....
सुंदर दोहे रच गया, खिलकर मन का मीत!
जवाब देंहटाएंप्रेम-दिवस पर चल पड़ी, नई प्रेम की रीत!!
बहुत सच कहा, यदि प्यार में सच्चाई आ जाये तो कृत्रिमता भरा भण्डार न आवश्यक होगा जीने के लिये।
जवाब देंहटाएंदोहों मे बड़ी अच्छी बातें कही गयी हैं..
जवाब देंहटाएंआपके ब्लाग की फीड, पता नहीं क्यों काफी देर बाद अपडेट हो पाती है, मेरे ब्लाग रोल में..
खूबसूरत दोहे हैं गुरु जी!
जवाब देंहटाएंखूबसूरत और बहुत सुंदर दोहे....
जवाब देंहटाएंआपको प्रेम दिवस की हार्दिक शुभकामनायें ...स्वीकार करें
जवाब देंहटाएंबहुत लाजवाब.
जवाब देंहटाएंरामराम.
अति सूधो सनेह को मारग है जहाँ नेकु सयानप बाँक नहीं।
जवाब देंहटाएंतहाँ साँचे चलैं तजि आपनपौ झिझकैं कपटी जे निसाँक नहीं॥
घनआनंद प्यारे सुजान सुनौ यहाँ एक ते दूसरो आँक नहीं।
तुम कौन धौं पाटी पढ़े हौ लला, मन लेहु पै देहु छटाँक नहीं॥
सही है,प्रेम उम्र के बंधन में नहीं होता!
जवाब देंहटाएंअपने बिल में सर्प भी, चलता सीधी चाल।
जवाब देंहटाएंकदम-कदम पर बुन रहा, मानुष फिर क्यों जाल।१०।
सभी दोहे बहुत सुन्दर लगे...बहुत प्रेरक और सार्थक सोच से भरपूर..आभार
पत्नी, पुत्री, बहन का, मात-पिता का प्यार।
जवाब देंहटाएंउनको ही मिलता सदा, जिनका हृदय उदार।
जबरदस्त गुरु जी, बहुत ही सुन्दर दोहे. मजा आ गया. बहुत-बहुत बधाई.
यह सारे दोहे बहुत अच्छी सीख दे रहे हैं ...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति .