अनजाना है सफर सामने अनजानी सी राहें हैं। चहल-पहल से भरे हुए सब दोराहे-चौराहे हैं।। कुछ पथ बालू से लथपथ, कुछ में कंटक नूकीले, कुछ टेढ़े-मेढ़े-सँकरे हैं, लेकिन हैं कुछ पथरीले, भोला पथिक उठाता अपनी चारों ओर निगाहें हैं। चहल-पहल से भरे हुए सब दोराहे-चौराहे हैं।। किससे पूछें पता-ठिकाना, कौन राह बतलाए, असमंजस में पड़ा मुसाफिर, कौन दिशा को जाए, पगडण्डी मिल गई सड़क में, भटक रहे चरवाहे हैं। चहल-पहल से भरे हुए सब दोराहे-चौराहे हैं।। जिसको सीधी डगर मिली, उसने है मंजिल पाई, जिसने गलत मार्ग पकड़ा है उसने उमर गँवाई, दुनियादारी के मेले में, कुछ खुशियाँ-कुछ आहें हैं, चहल-पहल से भरे हुए सब दोराहे-चौराहे हैं।। |
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बुधवार, 2 फ़रवरी 2011
"अनजानी सी राहें" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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बहुत ही गम्भीर भावों से ओत प्रोत जीवन का सच उजागर करती आपकी रचना दिल को छु गयी....बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंwakai ek gambhir rachna
जवाब देंहटाएंसारगर्भित पोस्ट सोचने को मजबूर करती....
जवाब देंहटाएंकविता नहीं यह जीवन दर्शन है,,, दोराहों चौराहों से बचाती हुई...
जवाब देंहटाएंबेहद सरल ढंग से कही गई अत्यंत प्रेरक रचना!!
जवाब देंहटाएंआपकी आज की यह रचना कुछ अलग तरह की है. सुंदर.
जवाब देंहटाएंanokhi rachna!
जवाब देंहटाएंजीवन-दर्शन.
जवाब देंहटाएंjeewan ko sahi raah dekhati haai aapki post.
जवाब देंहटाएंसुनदर ,सरल मगर ठोस अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंदुनियादारी के मेले में, कुछ खुशियाँ-कुछ आहें हैं,
जवाब देंहटाएंचहल-पहल से भरे हुए सब दोराहे-चौराहे हैं।
bahut achchgi lagi.
कितने ही मार्गों में बटती जीवनी।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी ओर कुछ अलग हट के लगी आज की रचना धन्यवाद
जवाब देंहटाएंकिससे पूछें पता-ठिकाना, कौन राह बतलाए,
जवाब देंहटाएंअसमंजस में पड़ा मुसाफिर, कौन दिशा को जाए,
पगडण्डी मिल गई सड़क में, भटक रहे चरवाहे हैं।
चहल-पहल से भरे हुए सब दोराहे-चौराहे हैं।।
वाह बहुत सुंदर और बहुत अच्छा विश्लेषण. शास्त्री जी बधाई.
जीवन ऐसा ही है।
जवाब देंहटाएंसारगर्भित ...सशक्त अभिव्यक्ति.....
जवाब देंहटाएंजिसको सीधी डगर मिली उसने ही मंजिल पायी..
जवाब देंहटाएंचहल पहल से भरे सब दोराहे चौराहे हैं ...
जीवन के सफर का अच्छा वर्णन किया है...
आभार !
जिसको सीधी डगर मिली, उसने है मंजिल पाई,
जवाब देंहटाएंजिसने गलत मार्ग पकड़ा है उसने उमर गँवाई,
बहुत ही सुन्दर
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मेरी बदमाशियां......
http://rimjhim2010.blogspot.com/
जिसको सीधी डगर मिली, उसने है मंजिल पाई,
जवाब देंहटाएंजिसने गलत मार्ग पकड़ा है उसने उमर गँवाई,
दुनियादारी के मेले में, कुछ खुशियाँ-कुछ आहें हैं,
चहल-पहल से भरे हुए सब दोराहे-चौराहे हैं।।
जीवन दर्शन कराती सारगर्भित पोस्ट्।
जिसको सीधी डगर मिली, उसने है मंजिल पाई,
जवाब देंहटाएंजिसने गलत मार्ग पकड़ा है उसने उमर गँवाई,
बहुत सार्गर्भित रचना है। बधाई।
गहन जीवन दर्शन से परिपूर्ण बहुत सारगर्भित रचना..आभार
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